(1)
कभी घुसपैठ कभी जेहाद और आतंकवाद
लगे हैं सबके सब करने भारत को बरबाद
भारत को बरबाद रोज हो रहा ख़ूनी खेल
ढुलमुल विदेश नीति की देखो रेलमपेल
हमे बचाया मेजर संदीप ने देकर अपनी जान
करकरे, काम्टे, शर्मा और कितने वीर जवान
कितने वीर जवान अभी और शहीद कहलायेंगे
क्या खौफ के साये में हम दिवाली ईद मनाएंगे
कह 'सुलभ' कविराय क्षमादान अब त्यागो
समय रहते आतंकवाद को जड़ से मिटादो॥
(2)
ये कैसी लड़ाई है कैसा यह आतंकवाद
मासूमो का खून बहाकर बोलते हैं जेहाद
बोलते हैं जेहाद अल्लाह के घर जाओगे
लेकिन उससे पहले तुम जानवर बन जाओगे
बम फटे मस्जिद में तो कहीं देवालय में
दुश्मन छुपे बैठे हैं आतंक के मुख्यालय में
आतंक के मुख्यालय में साजिश वो रचते हैं
नादान नौजवान बलि का बकरा बनते हैं
रो रहा आमिर कासब क्या मिला मौत के बदले
अपने बुढडे आकाओं से हम क्यों मरे पहले ॥
कभी घुसपैठ कभी जेहाद और आतंकवाद
लगे हैं सबके सब करने भारत को बरबाद
भारत को बरबाद रोज हो रहा ख़ूनी खेल
ढुलमुल विदेश नीति की देखो रेलमपेल
हमे बचाया मेजर संदीप ने देकर अपनी जान
करकरे, काम्टे, शर्मा और कितने वीर जवान
कितने वीर जवान अभी और शहीद कहलायेंगे
क्या खौफ के साये में हम दिवाली ईद मनाएंगे
कह 'सुलभ' कविराय क्षमादान अब त्यागो
समय रहते आतंकवाद को जड़ से मिटादो॥
(2)
ये कैसी लड़ाई है कैसा यह आतंकवाद
मासूमो का खून बहाकर बोलते हैं जेहाद
बोलते हैं जेहाद अल्लाह के घर जाओगे
लेकिन उससे पहले तुम जानवर बन जाओगे
बम फटे मस्जिद में तो कहीं देवालय में
दुश्मन छुपे बैठे हैं आतंक के मुख्यालय में
आतंक के मुख्यालय में साजिश वो रचते हैं
नादान नौजवान बलि का बकरा बनते हैं
रो रहा आमिर कासब क्या मिला मौत के बदले
अपने बुढडे आकाओं से हम क्यों मरे पहले ॥
- सुलभ जायसवाल सतरंगी
10 comments:
हमे बचाया मेजर संदीप ने देकर अपनी जान
करकरे, काम्टे, शर्मा और कितने वीर जवान
कितने वीर जवान अभी और शहीद कहलायेंगे
क्या खौफ के साये में हम दिवाली ईद मनाएंगे
कह 'सुलभ' कविराय क्षमादान अब त्यागो
समय रहते आतंकवाद को जड़ से मिटादो॥
बम फटे मस्जिद में तो कहीं देवालय में
दुश्मन छुपे बैठे हैं आतंक के मुख्यालय में
दोनो रचनायें लाजवाब हैं शहीदों को शत शत नमन्
किससे कहोगे ? कायर है सुनने वाले,
देश की बात करना इनसे बेईमानी !
कितने वीर जवान अभी और शहीद कहलायेंगे
क्या खौफ के साये में हम दिवाली ईद मनाएंगे !
बहुत ही सुन्दर रचनायें, शहीदों की इस कुर्बानी के लिये शत् शत् नमन ।
दोनों रचनाएँ बेहद प्रभावशाली।
शहीदों को नमन।
बम फटे मस्जिद में तो कहीं देवालय में
दुश्मन छुपे बैठे हैं आतंक के मुख्यालय में
भाई आप की दोनो रचनाये एक से बढ कर एक बहुत सुंदर.
धन्यवाद
अच्छी रचना और सुन्दर भाव
शुक्रिया ,,,,
अगर तूफ़ान में जिद है ... वह रुकेगा नही तो मुझे भी रोकने का नशा चढा है ।
बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने ! हर एक पंक्तियाँ सच्चाई बयान करती है! शहीदों को मेरा शत शत नमन!
शहीद जवानों को शत नमन
लड़ैगै आखिरी दम तक जब तक है दम में दम
वतन ए वास्ते बन्दे सजाये मौत भी है कम....
बस अब तो अमन शांति की दुआ है अपने देश के लए..
शुक्रिया सुलभ जी ;
कुछ ऐसा ही दर्द आपकी रचना भारत और आतंकवाद में नज़र आता है ; आप तो बेहद हस्सास ,जज्बाती इंसान हैं तो COMPUTER कैसे हो सकते हो ?
Post a Comment