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अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Saturday, July 17, 2010

यात्रा व्यस्तताओं के बीच ब्लोगरी


स साल में छ माह गुज़र जाने के बाद यह पहला मौका है कि मैं ऑफिस व्यस्तता और यात्राओं की चपेट में एक साथ ऐसा आया कि ब्लोगरी अस्त व्यस्त हो गयी, आगे के आसार भी
नियमित ब्लोगरी से दूर बने रहने की है. तीन दिन पहले जिस सीमांचल एक्सप्रेस से दिल्ली से निकलना हुआ, गंतव्य तक पहुँचते पहुँचते २० घंटे विलम्ब झेलने के बाद अन्य कई कार्यों में भी कठिनाई बनी रही. पटना में समिति द्वारा विवाह कार्यक्रम भी संपन्न हुआ. विस्तृत खबर यहाँ देखें. उधर सुबीर संवाद सेवा पर तरही मुशायरा भी शुरू हो चुका है, हमारे गृह क्षेत्र में घनघोर बारिश का आना जाना लगा हुआ है. इस बीच एक सूचना हिंद युग्म से मिली जहाँ ममता शीर्षक वाली कविता को प्रकाशित एवं पुरस्कृत भी किया गया है...

अपने ब्लॉग साथियों के पोस्टों एवं अन्य महत्वपूर्ण ब्लोगों पर चर्चा में भाग नहीं ले पाने का मलाल है. फिर भी ईमेल फीड से बहुत से पोस्ट पढ़ पा रहा हूँ.

अभी बिहार दौरे पर हूँ, यूँ तो बिहार विकास का चर्चा सब तरफ हो ही रहा है. फिर भी शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में बहुत से कार्य करने की जरुरत शेष है. ज्यादा से ज्यादा से लोग हाथ बटायेंगे तो परिणाम अच्छे होंगे.

आप सब हमारे बीच बने रहें, सभी के लिए शुभकामनाओं के साथ आपका - सुलभ

लिंक विदइन

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "