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हम आपके सहयात्री हैं.

अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Wednesday, June 24, 2009

हम, आप और वक़्त.

कमबख्त रोटी के जुगाड़ में आज हमारे पास दुआ मांगने लायक भी वक़्त नहीं है
और आपके पास वक़्त इतना की हर रोटी को शिकायतों की चासनी में डुबो कर चबाते है।

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ख्वाबे गफलत से आज हमको कर दो रुखसत
कुछ इस तरह जाम पे जाम बनाए जा साकी.
हर पैमाने को हंस कर उठाएंगे तबतक, जबतक
रहेगा आँखों में एक भी कतरा दर्द का बाकी.

Monday, June 1, 2009

दो जून की रोटी का मतलब .

जब कोई अनपढ़ मजदूर दिनभर की दिहारी मिलने के बाद. कपड़ोवाली गलियों से गुजरते हुए राशन के बकाये में सिर्फ आधा चूका पाता है....

जब कोई प्रतिभाशाली नौजवान, एक स्वप्नद्रष्टा किसी अप्ल्शिक्षित के यहाँ चुपचाप नौकरी करता है....

जब कोई कमजोर, अपनों की रय्यत में, अपने ही लोगों की गालियाँ सुन खामोश सहता है...

तब मुझे दो जून की रोटी का मतलब समझ में आता है ।

लिंक विदइन

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "