(1)
चाहो तो तुम मुझे एक लम्बा इंतिजार दो
पर कियामत तक की कोई ख़ुशी उधार दो
या तो हमारे प्यार को इक रिश्ते का नाम दो
या जो रिश्ता है दरम्यां उसे प्यार दो !!
(2)
तेरे आने से पहले कितनी झूटी थी तन्हाई
मैं कैसे क्या कहूँ, क्या है इसकी गहराई
एक समंदर सूखा रहता था ख्यालों में मेरे
अब यादें समंदर और जब तब तूफां आई !!
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Saturday, August 22, 2009
दो लम्हे यादों के शेर - 1
Online in Hindi Posted by (Sulabh Jaiswal)
Sulabh Jaiswal "सुलभ"
समय
10:00 AM
5
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Wednesday, June 24, 2009
हम, आप और वक़्त.
कमबख्त रोटी के जुगाड़ में आज हमारे पास दुआ मांगने लायक भी वक़्त नहीं है
और आपके पास वक़्त इतना की हर रोटी को शिकायतों की चासनी में डुबो कर चबाते है।
और आपके पास वक़्त इतना की हर रोटी को शिकायतों की चासनी में डुबो कर चबाते है।
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ख्वाबे गफलत से आज हमको कर दो रुखसत
कुछ इस तरह जाम पे जाम बनाए जा साकी.
हर पैमाने को हंस कर उठाएंगे तबतक, जबतक
रहेगा आँखों में एक भी कतरा दर्द का बाकी.
Online in Hindi Posted by (Sulabh Jaiswal)
Sulabh Jaiswal "सुलभ"
समय
11:33 PM
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Monday, January 26, 2009
शम्मां मुहब्बत का जलायें

(1)
आवाज़ उठाये हम वतन के वास्ते
खून बहायें अपना वतन के वास्ते
कमी न हो कभी तिरंगे की शान में
दुश्मनों को सबक सिखायें वतन के वास्ते
(2)
वतन के वास्ते जीयें जायें हम
कार्य दुष्कर सारे किये जायें हम
बाधाओं से ना कभी घबरायें हम
साहसिक तेवरों के साथ बढ़ते जायें हम
(3)
तरक्की की राह में हम चलते जायें
शर्त ये के पहले नफरतों को मिटायें
अमन, चैन, खुशहाली सब मुमकिन है
तीरगी मिटायें, शम्मां मुहब्बत का जलायें
Online in Hindi Posted by (Sulabh Jaiswal)
Sulabh Jaiswal "सुलभ"
समय
9:27 PM
3
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