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अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Monday, January 25, 2010

गणतंत्र दिवस 2010 पर विशेष - दिल्ली को समर्पित

मैं दिल्ली हूँ ख्वाब सभी के सजाता हूँ
हाँ ये सच है पहले खूब  आजमाता हूँ
तुम भी समझो जिम्मेदारियां अपनी
बोझ करोड़ो का
मैं रोज़ उठाता हूँ 
 
जनहित में जारी सन्देश..."मेरी दिल्ली - मैं ही संवारूं "
 








मैं दिल्ली हूँ
जान-ए-हिंद हिन्दुस्तान का दिल हूँ...

अपने सीने में दफ़न
सदियों की दास्ताँ लिये
काँटों की सेज पे
ख्वाब-ए-गुलिस्ताँ लिये
नई नई मुश्किलों से लड़ता
मुसलसल आगे बढ़ता
करोड़ों हिन्दुस्तानियों का
मुस्तकबिल हूँ
मैं दिल्ली हूँ

मेहरौली से रोहिणी तक
पंजाबी बाग से ओखला तक 
निजामुद्धीन से नज़फगढ़
आनंदविहार से द्वारका तक
हर सुबह हर शाम
हर पहर गतिशील हूँ
मैं दिल्ली हूँ
जान-ए-हिंद हिन्दुस्तान का दिल हूँ...





लालकिले के घास में
हस्तिनापुर के इतिहास में
सल्तनत के प्रवास में
पुराना किले के बनवास में
जोरो जुल्म और इन्साफ के
हर पन्ने में शामिल हूँ
मैं दिल्ली हूँ


शाहजहाँ के महलों में
ग़ालिब के ग़ज़लों में
मीना बाज़ार की भीड़ में
शांत यमुना के नीड़ में
हर कोना रौनक 
संगीत की महफ़िल हूँ
मैं दिल्ली हूँ
जान-ए-हिंद हिन्दुस्तान का दिल हूँ...


हिंदी उर्दू की तमीज लिये 
मेले त्यौहार तीज़ लिये 
गीतों में  रुबाइयों में 
चांदनीचौक की मिठाइयों में 
बच्चे-बुजुर्ग सभी के 
ख्वाहिशों की मंजिल हूँ
मैं दिल्ली हूँ




अंतर्राष्ट्रीय  उत्थानों  में 
विकासवाद के सिद्धांतों में 
नये नवेले  उद्योंगों में 
तकनीक के प्रयोगों में 
दिन प्रतिदिन
निरंतर विकासशील हूँ
मैं दिल्ली हूँ


नॉएडा गुडगाओं गाजियाबाद
अपने दामन में समेटे फरीदाबाद
श्रमजीवियों की प्रगति जहाँ  
प्रतिभाओं की उन्नति जहाँ 
हर किसी की नाव खेता 
स्वर्णिम सपनों की झील हूँ 
मैं दिल्ली हूँ
जान-ए-हिंद हिन्दुस्तान का दिल हूँ

***

जय हिंद 





-  सुलभ जायसवाल   

Friday, January 15, 2010

इजहारे जज़्बात की ज़हमत कीजिये






इजहारे जज़्बात की ज़हमत कीजिये
मोहब्बत की है तो हिम्मत कीजिये

खुदा के रहमत से कायम मोहब्बत
सजदे में सर रख
इबादत कीजिये

मोहब्बत की मंजिल है इम्तहान लेगी
ना उफ़  ना कोई  शिकायत कीजिये


माना
की मोहब्बत में खामोश है जुबाँ
चाहें तो निगाहों से शरारत कीजिये

रंजिश  साज़िश  हिमाकत  नफ़रत
मोहब्बत के दुश्मन हैं
खिलाफत कीजिये 


मोहब्बत मोहब्बत मोहब्बत मोहब्बत
हर शख्स को मिले ऐसी चाहत कीजिये




दूर दिलों तक पहुंचे 'सुलभ' तेरे अलफ़ाज़
मोहब्बत में यारो खतो-किताबत कीजिये



- सुलभ जायसवाल 'सतरंगी'

Thursday, January 14, 2010

मकर संक्रांति की पावन सुबह है ये सभी को बधाई!



प्रातः स्नान
सूर्य नमस्कार
दान चावल स्पर्श
सबके नाम से सीधा (दान)
तिल गुड का भोग
नाना प्रकार के लाइ






मकर संक्रांति की पावन सुबह है ये
सभी को बधाई!






दही चुडा भोजन
पतंगे गुल्ली डंडा
संध्या स्वादिष्ट खिचड़ी
तरकारी, पापड़, चोखा...


Friday, January 8, 2010

"बिक न जाना ओ पहरुवे हाथ में तुम्हारे कलम है" - EK REPORT

दो दिन सात सत्र ३२ घंटे, डूबा रहा मैं कवि संगम में....



वन्दे मातरम् का नारा है
तिरंगा हमको प्यारा है


जो भरा नहीं है भावों से  बहती जिसमे रसधार नहीं
वो ह्रदय नहीं है पत्थर है जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं

और......

जो वक़्त की आंधी से खबरदार नहीं है
वो कुछ और ही है वो कलमकार नहीं है




राष्ट्र जारण धर्म हमारा...

जी हाँ, राष्ट्रीयता से ओत प्रोत कुछ ऐसे ही विचारों से शुरू हुआ राजधानी दिल्ली में "राष्ट्रीय कवि संगम का द्वितीय राष्ट्रिय अधिवेशन." गत दिनाक २ - ३ जनवरी २०१० को कुल सात सत्रों में चले कार्यक्रम में देश  के विभिन्न कोनो से आये
६०० से ज्यादा व्यक्तियों ने भागीदारी की जिसमे लगभग ४०० कवि थे. और इस विहंगम सम्मलेन का गवाह बना छतरपुर, महरौली स्थित पावन अध्यात्म साधना केंद्र.

आपका यह ब्लोगर कवि २ जनवरी को प्रातः ९:१५ को पहुँच चुका था. प्रफुल्लित मन के साथ सुलभ जायसवाल ने बिहार प्रांत से प्रतिनिधित्व किया. ठण्ड और शीत के बावजूद दूर दराज से आये कुछ बुजुर्ग कवियों के बीच परिचय का आदान प्रदान हुआ. सभी अतिथि एवं कवि सदस्यों के लिए भवन में समुचित व्यवस्थित थी.

दो लौह पुरुष, जाने माने वरिष्ट कवि आदरणीय श्री जगदीश मित्तल जी (राष्ट्रीय संयोजक) एवं आदरणीय श्री राजेश चेतन जी (राष्ट्रीय सह-संयोजक) ने गज़ब का संयोजन और संचालन कौशल दिखाया और एक यादगार दो दिवसीय सम्मलेन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ.
                         (कवि श्री जगदीश मित्तल)

इस राष्ट्रीय कवि संगम के मार्गदर्शक आदरणीय श्री इन्द्रेश जी हैं. इस आयोजन समिति के कर्मठ सदस्यों ने विभिन्न सत्रों में जिस प्रकार दृश्य बदल बदल कर नियमित रूप से सभी कार्यक्रमों में अपनी सक्रीय भूमिका निभाई ये देख वहां पहुंचे सभी आगंतुक गदगद थे. प्रत्येक सत्र अंतराल के बीच अल्पाहार, भोजन एवं चाय पानी भी नियमित रूप से चलता रहा.  स्वागत समिति और आयोजन समिति के सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं. सहयोगी संस्था के रूप में अनुव्रत न्यास, संस्कार भारती, मुस्लिम राष्ट्रिय मंच ने अपनी सहभागिता दे कर कार्यक्रम को स्मरणीय और ऐतिहासिक बना दिया.


मुझे जिनका सानिध्य और आशीर्वाद मिला...
 
(के. सी. सुदर्शन)                (बाबा सत्यनारायण मौर्य)       (कवि गजेन्द्र सोलंकी)   (हास्यकवि सुरेन्द्र शर्मा)

(डा. कुंवर 'बेचैन')    (ओज कवि श्री बलबीर सिंह 'करुण') (श्री प्रेम कुमार धूमल)     (श्री सत्यभूषण जैन )     




    (कवि श्री राजेश चेतन)     (कवि श्री इन्द्रेश कुमार )    (कवि श्री जगदीश मित्तल)

प्रथम दिन के मुख्य अतिथि रहे मुनि श्री ताराचंद जी, मुनि श्री सुमित कुमार जी, पूर्व सरसंघचालाक श्री के.सी. सुदर्शन, प्रसिद्ध हास्यकवि सुरेन्द्र शर्मा, सरदार प्रताप फौजदार(लाफ्टर चैम्पियन), डा. विनय विश्वास,  बाबा सत्यनारायण मौर्य, श्री कृष्ण मित्र, बलबीर सिंह 'करुण' (ओज के कवि)
संचालन : श्री राजेश चेतन, श्री गजेन्द्र सोलंकी, प्रो. अशोक बत्रा 


प्रथम दिवस के आकर्षण - 
  • वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कवियों की भूमिका 
  • पुस्तक विमोचन 
                १. अनुभव के बोल (आचार्य महाप्रज्ञ जी की रचना)
               २. कवि संगम निर्देशिका २०१०
(नोट: इस निर्देशिका का मूल्य है १५० रु. है इसमें हिन्दी के भारतीय कवियों के नाम, पते फोन, इमेल हैं. यदि आप इसे प्राप्त करना चाहते हैं तो मेल करे, आप ब्लोगर साथियों को यह मात्र १०० रु. में मुफ्त डाकखर्च के साथ मैं भेज दूंगा.)
  • कविता का भविष्य - भविष्य की कविता
    "बिक न जाना ओ पहरुवे
    हाथ में तुम्हारे कलम है" -
    कवि श्री रविन्द्र शुक्ल

    एक विस्तृत शोध रिपोर्ट द्वारा डा. विनय विश्वाश (विशिष्ट वक्ता, कवि समीक्षक एवं समालोचक)

    कविता को लेकर एक गभीर चिंतन द्वारा श्री सुरेन्द्र शर्मा (विख्यात हास्यकवि)

  • कविता में राष्ट्रीयता
    राष्ट्र वंदना राष्ट्र भक्ति को समर्पित विशेष प्रस्तुति द्वारा बाबा श्री सत्यनारायण मौर्य

  • मुक्त चिंतन (विशेष प्रस्तुति द्वाराश्री इन्द्रेश कुमार )
  • काव्य प्रस्तुति (चार भागों में चली देर रात्री तक) 


विशेष आभार: श्री संपतमल नाहटा (अनुव्रत न्यास)

द्वितीय दिवस के आकर्षण - 

कविता में छंद और शिल्प का महत्व
विशेष प्रस्तुति -  वरिष्ट शायर व गीतकार डा. कुंवर बेचैन, श्री नरेश शांडिल्य (सम्पादक, अक्षरम गोष्ठी),  डा. लक्ष्मी शंकर वाजपेयी(निदेशक, आकाशवाणी), श्री राजगोपाल सिंह(वरिष्ट गीतकार)

मौन ओढ़े हैं सभी तैयारियां होंगी जरुर 
राख के नीचे दबी चिंगारियां होंगी जरुर.... इस गीत को गया राजगोपाल सिंह जी ने.

डा. लक्ष्मी वाजपेयी ने एक खुबसूरत नज्म. गाया... कितना बेगाना उसे अपना घर लगता है...

इसी बीच डा. कुंवर 'बेचैन' ने एक ग़ज़ल गाकर सभी की मंत्रमुग्ध कर दिया...
जिंदगी यूँ ही चली, यूँ ही चली मीलों तक 
चांदनी चार कदम, धूप चली मीलों तक.....

इस ब्लोगर कवि की खोजी दृष्टि में एक वाकया हुआ, एक वयोवृद्ध कन्नड़ कवि श्री पल्लारामाया कर्नाटक से बड़े कष्टमय यात्रा के साथ दुसरे दिन दिल्ली पहुंचे यह राष्ट्रभक्ति का जूनून ही था जो उन्होंने अपनी मातृ  भाषा कन्नड़ में लिखी कविता की कुछ प्रतियां लेकर आये और मुझसे बोले किसी भी तरह संचालक तक यह पहुंचा दे.  संचालक श्री राजेश चेतन जी ने अति व्यस्त समय में भी कुछ मिनट विस्तार कर तीन अहिन्दी भाषी कवियों को मंच पर ससम्मान बुलाया . और समस्त आंगतुकों को यह बताना जरुरी था की किस प्रकार कवि और कविता के भाव सदैव एक ही रहते हैं, चाहे भाषा कुछ भी हो. श्री पल्लारामया जी ने संस्कार भारती संगठन का प्रतिनिधित्व करते हुए. मातृ वंदना में  अखंड भारत को समर्पित एक सुन्दर पाठ किया. उनके हिन्दी अनुवाद यहाँ है...(लिंक)

राष्ट्र जागरण धर्म हमारा व सम्मान समारोह


श्री इन्द्रेश कुमार (एक विस्तृत व्याख्यान और संस्मरण सुनाये)
श्री प्रेम कुमार धूमल (हिमाचल के मुख्य मंत्री श्री धूमल ने सीमा पर चली लड़ाई और प्रदेश के वीर सपूतों की शौर्यगाथाये सुनाई. साथ ही उन्होंने महाभारत काल और आज कलयुग के सन्दर्भ में रोचक और प्रेरणादायी कथा भी सुनाये.)

सत्यभूषण जैन (मुख्य निदेशक, API  ग्रुप, ने सभी सहयोगियों का अभिवादन किया)
श्री आर. के. अग्रवाल (मुख्य निदेशक, MICRON GROUP)
नरेश शांडिल्य (सम्पादक, अक्षरम गोष्ठी)
श्री सत्यनारायण जटिया (वरिष्ट कवि एवं पूर्व मंत्री )

सम्मान समारोह: 
इस अवसर पर काव्य एवं राष्ट्र भक्ति के क्षेत्र में विशिष्ट योगदानकर्ताओं को सम्मानित किया गया.
वाल्मीकि सम्मान से बाबा सत्यनारायण मौर्य (मुंबई) को.
रसखान सम्मान से दीन मोहम्मद दीन (मैनपुरी) को.
मीराबाई सम्मान से डा. मनोरमा मिश्र (म.प्र.) को.

विशेष आमंत्रित: श्री बांकेलाल गौड़, श्री नंदकिशोर गर्ग, श्री रमेश अग्रवाल
संचालन:  श्री कमलेश मौर्य 'मृदु'
षष्टम सत्र में युवा कवि श्री चिराग जैन ने मंच संचालन कर अपनी सक्रिय भूमिका सिद्ध की. 
विशेष आभार: श्री जगदीश मित्तल 

कलम आज उनकी जय बोल - जय हिंद - जय भारत 
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काव्य प्रस्तुति

संध्या ८ बजे रात्रिभोज के पश्चात शुरू हुआ प्रतीक्षित काव्य पाठ. तकरीबन ३०० कवि मित्रो द्वारा चार सभागार में  अपनी संक्षिप्त प्रस्तुति की गयी.  


 
(बाबा सत्यनारायण 'मौर्या' एवं वरिष्ट कवि श्री देवेन्द्र देव के साथ )

 

इस प्रथम भाग के संचालक रहे कवि श्री अम्बर खरबंदा और अध्यक्षता की श्री देवेन्द्र देव जी ने. कोलकाता से आई  डा. सुष्मिता भट्टाचार्य ने "पुरोषोत्तम पांच" शीर्षक से एक मार्मिक कविता का पाठ किया. संगम विहार दिल्ली के कवि श्री नागेश चंद्रा जी ने खुबसूरत नज़्म कही. उत्तराखंड से आई डा. लक्ष्मी भट्ट ने अपनी मधुर आवाज में एक गढ़वाली गीत सुनाकर सभी को अभिभूत किया. कवि अम्बरीश श्रीवास्तव जी ने अपने अनुभव बांटे. अन्य बहुत से कवियों ने अपनी प्रस्तुति दी.  
चूँकि समयाभाव के कारण सभी ने केवल एक ही रचना सुनाये . रात्री १०:३०  बजे अंतत: वह क्षण भी आया जब मैंने अपनी रचना का पाठ किया और लगभग  १०० श्रोता जिनमे ६५ कवि थे, उनकी दाद बटोरने में कामयाब रहा..

अपने ब्लोगर साथियों के लिए यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ....

फैसले हुए हैं बवालों के बीच
झूटे सबूत सवालों के बीच 



देशी खज़ाना विदेश पहुंचा
सरकारी दौरा हवालों के बीच 



कैसे कैसे सौदे होते हैं यहाँ
जिस्म और दलालों
के बीच 


आगे सुनिए....


आये दिन मज़हबी फसाद
रंजिश सियासी चालों
के बीच 



बेबस आंसू सूखते गए
गालों से रुमालों
के बीच 


और शे'र सुनिए........


तनहा जिंदगी की रातें रौशन है
तेरे यादों के उजालों
के बीच 


और ये आखरी पंक्तियाँ....


'सुलभ' परेशां आजकल है
चंद उलझे ख्यालों के बीच


शुक्रिया..
- सुलभ




Monday, January 4, 2010

छोटी सी ठंडी एक कविता

आज ठण्ड और कोहरा इतना ज्यादा है की पोस्ट लिखना तो दूर पोस्ट पढना भी मुश्किल हो रहा है.
शुक्र है एक छोटी सी कविता पढने को मिली, तो मैंने भी आज एक छोटी कविता कह दी.





 सुबह देर तक
बंद रहे किवाड़
ठण्ड में सूरज भी कहाँ निकला 


-सुलभ
  

Friday, January 1, 2010

नया वर्ष नयी उम्मीदों नयी तैयारियों के नाम





समस्त पाठकों को नववर्ष की शुभभकामनाये !!


नया वर्ष नयी उम्मीदों 
नयी तैयारियों के नाम 
नूतन उत्साह और 
नवीन चेतना के नाम 

पराजय की घड़ी में भी
विजय के सपनों के नाम 
लगातार चलते रहने की 
जीवटता के नाम
सतत प्रयासों और 
संघर्षों के नाम


आत्म-अन्वेषण और 
स्व-अनुशासन  के नाम



सृजन के नाम
सफलता के नाम

शान्ति के नाम

 - सुलभ जायसवाल 'सतरंगी'
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लिंक विदइन

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "