आज कल मन बड़ा दार्शनिक हो चला है। कहीं जल्दी ही बुढापा न आ जाए। वैसे भी आदरणीय श्री राज भाटिया जी मुझे बुजुर्ग सोच वाला नौजवान मानते हैं। तीन क्षणिकाएं हैं। तीनो को एक साथ यहाँ रखकर आज सतरंगी परिभाषा की श्रिंखला को यहीं समाप्त करता हूँ...
(9)
विकल्पों से भरे जीवन में
जो पा लिया वो अपने हैं
जिनको पाना बाकी है
वही 'सपने' हैं
(10)
'वक़्त' आते-जाते साँसों का एक पुलिंदा है
यही सबसे बड़ी पूँजी है जिसकी
कमाई से आदमी जिंदा है
और जिसने गवांया इसको
वो शर्मिन्दा है
(11)
'मौत' बलखाते जीवन का
अवसान है
किसी के नही होने का
प्राकृतिक प्रमाण है॥
- सुलभ जायसवाल 'सतरंगी'
(अपनी प्रकाशनाधीन पुस्तक सतरंगी फिलोसफी से चुने हुए कुछ ख़ास शब्द)
(9)
विकल्पों से भरे जीवन में
जो पा लिया वो अपने हैं
जिनको पाना बाकी है
वही 'सपने' हैं
(10)
'वक़्त' आते-जाते साँसों का एक पुलिंदा है
यही सबसे बड़ी पूँजी है जिसकी
कमाई से आदमी जिंदा है
और जिसने गवांया इसको
वो शर्मिन्दा है
(11)
'मौत' बलखाते जीवन का
अवसान है
किसी के नही होने का
प्राकृतिक प्रमाण है॥
- सुलभ जायसवाल 'सतरंगी'
(अपनी प्रकाशनाधीन पुस्तक सतरंगी फिलोसफी से चुने हुए कुछ ख़ास शब्द)
14 comments:
मौत' बलखाते जीवन का
अवसान है
किसी के नही होने का
प्राकृतिक प्रमाण है॥
-तीनों पूरी और बहुत जबरदस्त!! बधाई.
वाह सुलभ जी
सरल और सशक्त ..सुंदर
ಅಜಯ ಕುಮಾರ ಝಾ
sapno ki achhi paribhasha.....
तीनों बहुत सुंदर. बधाई.
बहुत सुंदर, शयाद आप गलत समझे बुजुर्ग सोच वाला नौजवान यानि समझ दार नोजवान मै कहना चाहता था.
धन्यवाद
@ राज भाटिया जी,
हाँ भाटिया अंकल जी, मैं भी वही कह रहा हूँ. ये तो आपका आशीर्वाद है जो आपने मुझ पर बनाए रखा है.
हम आपके अनुभव और स्नेह से ही तो समझदार हो पाते हैं.
वाह ...तीनों क्षणिकाएं गज़ब की हैं .....
'वक़्त' आते-जाते साँसों को एक पुलिंदा है
यही सबसे बड़ी पूँजी है जिसकी
कमाई से आदमी जिंदा है
और जिसने गवांया इसको
वो शर्मिन्दा है
वक़्त की सबसे सुंदर परिभाषा .......यहाँ सांसों 'को' या 'का' ..देखें ...!!
'मौत' बलखाते जीवन का
अवसान है
किसी के नही होने का
प्राकृतिक प्रमाण है॥
यहाँ तो राज भाटिया जी वाली बात शतप्रतिशत सच लगती है ....!!
'मौत' बलखाते जीवन का
अवसान है
किसी के नही होने का
प्राकृतिक प्रमाण है॥
kshanikaaoN ka ye silsilaa
bahut hi upyogi hai,,,
ek samvaad-sa sthaapit huaa
mehsoos hota hai .
b a d h a a e e .
achha likha aapne. aapse milkar khushi hui janab. shukria. aapka follower ban gaya hu.
'वक़्त' आते-जाते साँसों का एक पुलिंदा है
यही सबसे बड़ी पूँजी है जिसकी
कमाई से आदमी जिंदा है
और जिसने गवांया इसको
वो शर्मिन्दा है ...
वाह वाह बहुत सुंदर लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है ! बहुत बढ़िया लगा आपका ये पोस्ट!
मौत' बलखाते जीवन का
अवसान है
किसी के नही होने का
प्राकृतिक प्रमाण है
वाह वाह बहुत सुंदर
शुभ कामनाएं
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कहने को तो ये क्षणिकाएँ हैं, पर आपने जैसे इनमें जीवन भर दिया है। बधाई।
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क्या है कोई पहेली को बूझने वाला?
पढ़े-लिखे भी होते हैं अंधविश्वास का शिकार।
सुलभ जी ..... तीनो कमाल हैं अपना अपना रंग लिए .......... पहली और तीसरी जीवन के सत्य को बयान करती हैं ..........
विकल्पों से भरे जीवन में
जो पा लिया वो अपने हैं
जिनको पाना बाकी है
वही 'सपने' हैं
बहुत लाजवाब ...........
तीनो ही क्षणिकाएं
सरल सच सुंदर हैं
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