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अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Sunday, November 8, 2009

सतरंगी परिभाषा - 6 "दोस्त"


बेमजा बेरौनक बेकार
और बदरंग है जिंदगी
बगैर किसी दोस्त के
जैसे कोई दावत
बिन शोरबा बिन गोश्त के

- सुलभ 'सतरंगी'

4 comments:

राज भाटिय़ा said...

बेमजा बेरौनक बेकार
और बदरंग है जिंदगी
बगैर किसी दोस्त के

ओर जी कई बार इन दोस्तो के कारण ही यह जिन्दगी बेमजा बेरौनक बेकार और बदरंग है हो जाती है जी.
बहुत सुंदर शेर लिखा आप ने धन्यवाद

Ambarish said...

badhiya likha hai ji...

Asha Joglekar said...

शेर छोटा पर ज़ोरदार ।

Mansoor ali Hashmi said...

DOSTI KO SHAKAHARI HI RAKHE TO?

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "