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अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Saturday, November 7, 2009

सतरंगी परिभाषा - 5 "नफरत"

नफरत एक शैतानी कीड़ा है
जो खामोशी में पलती है
राह चलते खुशबुओं को
फैलने से रोकती है
अक्सर प्यार की बात सुनकर
अपना दम तोड़ती है

- सुलभ 'सतरंगी'

5 comments:

Alpana Verma said...

सही लिखा हैं .

Dr. Shreesh K. Pathak said...

बात तो बड़ी दुरुस्त कही, आपने...

अजित गुप्ता का कोना said...

नफरत एक कीड़ा है जो खामोशी में पलती है। कीड़ा और पलती है कुछ जम नहीं रहा। आपका भाव अच्‍छा है इसे दुरस्‍त करें या फिर आपका मंतव्‍य बताएं।

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

@Dr. Smt. ajit gupta

दरअसल मैंने पहली पंक्ति में लिखा था -
नफरत एक शैतानी चीटी है
जो खामोशी में पलती.
यहाँ चीटी पर प्रहार अच्छा नहीं लगा था तो मैंने कीडा बना दिया. परन्तु व्याकरण में स्त्रीलिंग दोष आ गया जैसा की आपने कहा है.

पंकज said...

बेहद अर्थ पूर्ण परिभाषायें.

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "