नफरत एक शैतानी कीड़ा है
जो खामोशी में पलती है
राह चलते खुशबुओं को
फैलने से रोकती है
अक्सर प्यार की बात सुनकर
अपना दम तोड़ती है ॥
- सुलभ 'सतरंगी'
जो खामोशी में पलती है
राह चलते खुशबुओं को
फैलने से रोकती है
अक्सर प्यार की बात सुनकर
अपना दम तोड़ती है ॥
- सुलभ 'सतरंगी'
5 comments:
सही लिखा हैं .
बात तो बड़ी दुरुस्त कही, आपने...
नफरत एक कीड़ा है जो खामोशी में पलती है। कीड़ा और पलती है कुछ जम नहीं रहा। आपका भाव अच्छा है इसे दुरस्त करें या फिर आपका मंतव्य बताएं।
@Dr. Smt. ajit gupta
दरअसल मैंने पहली पंक्ति में लिखा था -
नफरत एक शैतानी चीटी है
जो खामोशी में पलती.
यहाँ चीटी पर प्रहार अच्छा नहीं लगा था तो मैंने कीडा बना दिया. परन्तु व्याकरण में स्त्रीलिंग दोष आ गया जैसा की आपने कहा है.
बेहद अर्थ पूर्ण परिभाषायें.
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