गुजरा वक़्त कब लौटा है
आंसू बह जाने के बाद
दीवानों के घर नहीं बसते
साकी औ' मयखाने के बाद
खिलौने अकेले में रोते हैं
बच्चों को हंसाने के बाद
पास कोई नज़र नहीं आता
आँखें बूढी हो जाने के बाद
यादों की उमर बढ़ती है
बचपन याद आने के बाद
"सुलभ" किसको क्या मिला
दिल किसी का दुखाने के बाद
(सतरंगी फिलोसफी से कुछ पंक्तियाँ )
21 comments:
दीवानों के घर नहीं बसते
साकी औ' मयखाने के बाद
खिलौने अकेले में रोते हैं
बच्चों को हंसाने के बाद
ये चार लाइने बहुत पसंद आई सुलभ भाई !
यादों की उमर बढ़ती है
बचपन याद आने के बाद
सही कहा ।
कुछ न कह के भी बहुत कुछ कहा जा सकता है ,तो कुछ न कहने के लए आभार ,
khilone,,,,अच्छा ख्याल लगा और दर्द बाँट लेंगे ,,नेक ,,,,,,,,,,,,,,,,,,शुक्रिया
"सुलभ" किसको क्या मिला
दिल किसी का दुखाने के बाद
बहुत सुंदर गजल
धन्यवाद
यादों की उमर बढ़ती है
बचपन याद आने के बाद
ओह बचपन !! न ही याद दिलाओ तो अच्छा है. जब भी याद करो कुछ खोने का, कुछ भूल आने का, कुछ पीछे छोड़ आने का अहसास होता है.हर पल कुछ कमी सी महसूस होती है.
यादों की उमर बढ़ती है
बचपन याद आने के बाद
waah
यादों की उमर बढ़ती है
बचपन याद आने के बाद
"सुलभ" किसको क्या मिला
दिल किसी का दुखाने के बाद
bahut sunder abhivykti......
Bahut sundar ghazal hai...
har sher ghajab ka hai...
par sabse achha laga...
पास कोई नज़र नहीं आता
आँखें बूढी हो जाने के बाद
kyunki isme ek sachhai hai...kadwi sachhai..
पास कोई नज़र नहीं आता
आँखें बूढी हो जाने के बाद
यादों की उमर बढ़ती है
बचपन याद आने के बाद
"सुलभ" किसको क्या मिला
दिल किसी का दुखाने के बाद
सुंदर गजल
धन्यवाद!!!
खिलौने अकेले में रोते हैं
बच्चों को हंसाने के बाद
पास कोई नज़र नहीं आता
आँखें बूढी हो जाने के बाद
यादों की उमर बढ़ती है
बचपन याद आने के बाद
"सुलभ" किसको क्या मिला
दिल किसी का दुखाने के बाद
Aah! Kayi baar padhke bhee tasallee huee nahi...!Gazab kiya hai aapne!
खिलौने अकेले में रोते हैं
बच्चों को हंसाने के बाद
पास कोई नज़र नहीं आता
आँखें बूढी हो जाने के बाद
बहुत गहरी बातें लिखी हैं सुलभ जी आज .. वैसे डब शेर कुछ न कुछ अलग है .. पर ये दोनो बहुत ही नये लगे .. दिल में उतार गये ...
baht hibadhiya likha hai aapne. prashanshniy. दीवानों के घर नहीं बसte
साकी औ' मयखाने के बाद
खिलौने अकेले में रोते हैं
बच्चों को हंसाने के बाद
बहुत कुछ बाद में ही होता है..जीवन में हर चीज़ टाइम पे हो बहुत मुश्किल है..बढ़िया रचना...सुलभ जी बहुत दिन के बाद आना संभव हो पाया पर बहुत अच्छा लगा....धन्यवाद चाहूँगा भाई..
खिलौने अकेले में रोते हैं
बच्चों को हंसाने के बाद
पास कोई नज़र नहीं आता
आँखें बूढी हो जाने के बाद
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! बिल्कुल सही कहा है आपने! बहुत बढ़िया और शानदार रचना लिखा है आपने! बधाई!
यादों की उमर बढ़ती है
बचपन याद आने के बाद
बेहतरीन गज़ल सुन्दर भाव
बहुत बढ़िया रचना ... बधाई
खिलौने अकेले में रोते हैं
बच्चों को हंसाने के बाद
पास कोई नज़र नहीं आता
आँखें बूढी हो जाने के बाद
वाह!बहुत ही उम्दा लिखा है .
दिल को छू गए ये सभी ख्याल .
बहुत ही अच्छी ग़ज़ल लिखी है.
Bhavpurn aur sundar abhivyakti.badhai.
waah waah .. bachpan ki yaade to taaza ho hi gayi .. aapka likha hua man ko choo gaya ..
vijay
Kewal do shabd:
Manna padega!
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