मैं दिल्ली हूँ ख्वाब सभी के सजाता हूँ
हाँ ये सच है पहले खूब आजमाता हूँ
तुम भी समझो जिम्मेदारियां अपनी
बोझ करोड़ो का मैं रोज़ उठाता हूँ
हाँ ये सच है पहले खूब आजमाता हूँ
तुम भी समझो जिम्मेदारियां अपनी
बोझ करोड़ो का मैं रोज़ उठाता हूँ
जनहित में जारी सन्देश..."मेरी दिल्ली - मैं ही संवारूं "
मैं दिल्ली हूँ
जान-ए-हिंद हिन्दुस्तान का दिल हूँ...
अपने सीने में दफ़न
सदियों की दास्ताँ लिये
काँटों की सेज पे
ख्वाब-ए-गुलिस्ताँ लिये
नई नई मुश्किलों से लड़ता
मुसलसल आगे बढ़ता
करोड़ों हिन्दुस्तानियों का
मुस्तकबिल हूँ
मैं दिल्ली हूँ
मेहरौली से रोहिणी तक
पंजाबी बाग से ओखला तक
निजामुद्धीन से नज़फगढ़
आनंदविहार से द्वारका तक
हर सुबह हर शाम
हर पहर गतिशील हूँ
मैं दिल्ली हूँ
जान-ए-हिंद हिन्दुस्तान का दिल हूँ...
जान-ए-हिंद हिन्दुस्तान का दिल हूँ...
अपने सीने में दफ़न
सदियों की दास्ताँ लिये
काँटों की सेज पे
ख्वाब-ए-गुलिस्ताँ लिये
नई नई मुश्किलों से लड़ता
मुसलसल आगे बढ़ता
करोड़ों हिन्दुस्तानियों का
मुस्तकबिल हूँ
मैं दिल्ली हूँ
मेहरौली से रोहिणी तक
पंजाबी बाग से ओखला तक
निजामुद्धीन से नज़फगढ़
आनंदविहार से द्वारका तक
हर सुबह हर शाम
हर पहर गतिशील हूँ
मैं दिल्ली हूँ
जान-ए-हिंद हिन्दुस्तान का दिल हूँ...
लालकिले के घास में
हस्तिनापुर के इतिहास में
सल्तनत के प्रवास में
पुराना किले के बनवास में
जोरो जुल्म और इन्साफ के
हर पन्ने में शामिल हूँ
मैं दिल्ली हूँ
शाहजहाँ के महलों में
ग़ालिब के ग़ज़लों में
मीना बाज़ार की भीड़ में
शांत यमुना के नीड़ में
हर कोना रौनक
संगीत की महफ़िल हूँ
मैं दिल्ली हूँ
जान-ए-हिंद हिन्दुस्तान का दिल हूँ...
हिंदी उर्दू की तमीज लिये
मेले त्यौहार तीज़ लिये
गीतों में रुबाइयों में
चांदनीचौक की मिठाइयों में
बच्चे-बुजुर्ग सभी के
ख्वाहिशों की मंजिल हूँ
मैं दिल्ली हूँ
अंतर्राष्ट्रीय उत्थानों में
विकासवाद के सिद्धांतों में
नये नवेले उद्योंगों में
तकनीक के प्रयोगों में
दिन प्रतिदिन
निरंतर विकासशील हूँ
मैं दिल्ली हूँ
नॉएडा गुडगाओं गाजियाबाद
अपने दामन में समेटे फरीदाबाद
श्रमजीवियों की प्रगति जहाँ
प्रतिभाओं की उन्नति जहाँ
हर किसी की नाव खेता
स्वर्णिम सपनों की झील हूँ
मैं दिल्ली हूँ
जान-ए-हिंद हिन्दुस्तान का दिल हूँ
***
जय हिंद
- सुलभ जायसवाल
26 comments:
बहुत सुन्दर जै हो दिल्ली की लाजवाब कविता है शुभकामनायें और गणतन्त्र दिवस की बधाई
बेहतरीन रचना!
गणतन्त्र दिवस की बधाई!
जय हो दिल्ली की और वहां के दिलवालों की । अच्छी प्रस्तुति
मैं दिल्ली हूँ
जान-ए-हिंद हिन्दुस्तान का दिल हूँ
बहुत सही ....और बहुत सुंदर........
गणतन्त्र दिवस की बधाई!.
बहुत सुन्दर, दिल्ली गुणगान का यह नया अंदाज अच्छा लगा !
वाह क्या बात है सुलभ जी ........ दिल्ली है मेरी जान ....... आपने तो दिल्ली का इतिहास लिख दिया ..... बहुत अच्छी लगीं सब क्षणिकाएँ .........
यह कविता आपके विशिष्ट कवि-व्यक्तित्व का गहरा अहसास कराती है।
दिल्ली की सुन्दर संरचना पेश की है।
दिल्ली वालों की ओर से साधुवाद।
दिल्ली का गुणगान अच्छा है । दिल्लीवालों को तो अच्छा लगना ही हुआ ।
आप को गणतंत्र दिवस की मंगलमय कामना
शुभकामनायें !
Waah aapne to hamen dilli darshan kara diye
apne aap mein bahut alag si anuthi rachna
bahut achcha laga padhna
gantantra diwas par hardik shubhkaamnaayen
आप को भी इस राष्ट्रीय त्यौहार के पावन पर्व की शुभ कामनाएं।
आप को भी इस राष्ट्रीय त्यौहार के पावन पर्व की शुभ कामनाएं।
विकास की सभी जानकारी सुलभ करवाने के लिए बधाई। मेट्रो को क्यों भूल गए मेरे भाई। इसमें जगह जगह मेट्रो लगाने पर और आनंद आयेगा, जो सच्चाई का बोध करायेगा।
सुलभ सतरंगी जी, आदाब
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
दिल्ली का सुन्दर परिचय कराया आपने
सुबीर जी के ब्लाग पर आपकी तरही ग़ज़ल बहुत पसन्द आई
और हां
(जज्बात पर भी है जश्न का माहौल)
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
http://shahidmirza.blogspot.com/2010/01/blog-post_26.html
बहुत सुन्दर रचना ! आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
bahut sundar anoothi rachna ,badhai ho
sulabh ji
thanks for appreciation...
Republic Day per aap ke ya kavita bhi badi sundr hai....
भाई, हक-नमक सब अदा कर दिया आपने. दिल्ली ऐसी है, आँखों के सामने वे सारे दृश्य नाच उठे जब हम भी दिल्ली में थे.
जब दिल्ली में थे, एक मुहावरे का इस्तेमाल करते थे- दिल्ली है दलालों की.
लेकिन आज, आपकी रचना ने वो सारे पर्दे हटा दिए. दिल्ली के किसी मूल निवासी ने भी शायद उसके प्रति इतनी श्रद्धा नहीं दिखाई होगी.
बहुत अच्छी लगी आपकी कविता पूरा दिल्ली दर्शन घर बैठे और वो भी पूरा डिटेल में.मज़ा आ गया
waah bahut hee shaanadaar.
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
Behatrin likha apne...jay ho !!
शाहजहाँ के महलों में
ग़ालिब के ग़ज़लों में
मीना बाज़ार की भीड़ में
शांत यमुना के नीड़ में
हर कोना रौनक
संगीत की महफ़िल हूँ
मैं दिल्ली हूँ
जान-ए-हिंद हिन्दुस्तान का दिल हूँ...
हिंदी उर्दू की तमीज लिये
मेले त्यौहार तीज़ लिये
गीतों में रुबाइयों में
चांदनीचौक की मिठाइयों में
बच्चे-बुजुर्ग सभी के
ख्वाहिशों की मंजिल हूँ
मैं दिल्ली हूँ
mujhe to poori rachna bha gayi aur saath hi delhi ki khoobsurati bhi ,pahli baar aai aur bahut khushi hui ,aapki bhi aabhari hoon
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