इजहारे जज़्बात की ज़हमत कीजिये
मोहब्बत की है तो हिम्मत कीजिये
खुदा के रहमत से कायम मोहब्बत
सजदे में सर रख इबादत कीजिये
मोहब्बत की मंजिल है इम्तहान लेगी
ना उफ़ ना कोई शिकायत कीजिये
माना की मोहब्बत में खामोश है जुबाँ
चाहें तो निगाहों से शरारत कीजिये
रंजिश साज़िश हिमाकत नफ़रत
मोहब्बत के दुश्मन हैं खिलाफत कीजिये
मोहब्बत मोहब्बत मोहब्बत मोहब्बत
हर शख्स को मिले ऐसी चाहत कीजिये
दूर दिलों तक पहुंचे 'सुलभ' तेरे अलफ़ाज़
मोहब्बत में यारो खतो-किताबत कीजिये
- सुलभ जायसवाल 'सतरंगी'
21 comments:
रंजिश साज़िश हिमाकत नफ़रत
मोहब्बत के दुश्मन हैं खिलाफत कीजिये
भाई आपकी ये लाईंन दिल को छु गयी , बढिया प्रस्तुति ।
बहुत सुंदर रचना .....आभार !
दूर दिलों तक पहुंचे 'सुलभ' तेरे अलफ़ाज़
मोहब्बत में यारो खतो-किताबत कीजिये
अच्छा ख्याल है
मोहब्बत का पैग़ाम अच्छा लगा है,
कहा दिल ने इसकी तिलावत कीजिए.
ग़ज़ल क़ाबिले-तारीफ़ है।
रंजिश साज़िश हिमाकत नफ़रत
मोहब्बत के दुश्मन हैं खिलाफत कीजिये
बहुत उम्दा जी, बहुत लाजवाब
धन्यवाद
माना की मोहब्बत में खामोश है जुबाँ
चाहें तो निगाहों से शरारत कीजिये
-वाह!! उम्दा ख्याल!! बेहतरीन!
बहुत अच्छी ग़ज़ल.
मोहब्बत के लिए कुछ खास दिल माकूल होते हैं
ये वो नगमा है जो हर साज़ पे गया नहीं जाता
फिर भी आप पैगाम तो बाँटते चलिए .........
सुन्दर !
waah
मोहब्बत की मंजिल है इम्तहान लेगी
ना उफ़ ना कोई शिकायत कीजिये ...
वाह .. क्या बात कही है सुलभ जी ......... मुहब्बत इम्तिहान लेती है ........ फिर जब ये आग का दरिया है तो शिकायत कैसी .... शिकवा कैसा ......... बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है ...... मार डाला आपने .........
बहुत सुंदर बात कही आपने..प्यार करने वालों के नाम एक खूबसूरत संदेश...बढ़िया ग़ज़ल..बधाई सतरंगी जी!!!
वाह क्या बात है!
हर शेर अच्छे हर बात अच्छी.
तेरी गजल लगती है सच्ची.
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने! इस लाजवाब और बेहतरीन रचना के लिए बधाई!
मोहब्बत की मंजिल है इम्तहान लेगी
ना उफ़ ना कोई शिकायत कीजिये
बहुत ही गजब की ग़ज़ल लिखी है
मुहब्बत में क्या करें क्या ना करें नसीहत अच्छी है पर कौन मानता है.ये कागज़ पे लिखी बातें नहीं ये तो दिल किताब पढ़ कर बोलता है.
माना की मोहब्बत में खामोश है जुबाँ
चाहें तो निगाहों से शरारत कीजिये
Aise to har pankti dohrayi ja sakti hai..! Wah!
आपकी मोहब्बत रास आ गयी ! बसंत पंचमी की अनेकानेक शुभ कामनाए!!!
बेहतरीन!नायाब!! अद्वितीय!!!....
आपकी इस गजल की खूबसूरती पर दिलो जान से फ़िदा हो गए!
रंजिश साज़िश हिमाकत नफ़रत
मोहब्बत के दुश्मन हैं खिलाफत कीजिये
मोहब्बत मोहब्बत मोहब्बत मोहब्बत
हर शख्स को मिले ऐसी चाहत कीजिये
क्या उस्तादाना प्रयोग है...सारे शेर जान लेवा है...
मोहब्बत को केंद्र में बनाए रखा है...और फिर निगाहों से शरारत वाला शेर माशाल्लाह !मतले से ही बाँध दिया ..
सुलभ जी वाकई इंद्रजाल सी रचना है....
बधाई!
खुदा के रहमत से कायम मोहब्बत
सजदे में सर रख इबादत कीजिये
माना की मोहब्बत में खामोश है जुबाँ
चाहें तो निगाहों से शरारत कीजिये
bahut sundar gazal...
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it was really nice sulabh .......
इजहारे जज़्बात की ज़हमत कीजिये
मोहब्बत की है तो हिम्मत कीजिये
खुदा के रहमत से कायम मोहब्बत
सजदे में सर रख इबादत कीजिये
मोहब्बत की मंजिल है इम्तहान लेगी
ना उफ़ ना कोई शिकायत कीजिये
माना की मोहब्बत में खामोश है जुबाँ
चाहें तो निगाहों से शरारत कीजिये
रंजिश साज़िश हिमाकत नफ़रत
मोहब्बत के दुश्मन हैं खिलाफत कीजिये
मोहब्बत मोहब्बत मोहब्बत मोहब्बत
हर शख्स को मिले ऐसी चाहत कीजिये
दूर दिलों तक पहुंचे 'सुलभ' तेरे अलफ़ाज़
मोहब्बत में यारो खतो-किताबत कीजिये
kisi ek ke baare me soch hi nahi payi saari rachna behtrin
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