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Thursday, January 14, 2010

मकर संक्रांति की पावन सुबह है ये सभी को बधाई!



प्रातः स्नान
सूर्य नमस्कार
दान चावल स्पर्श
सबके नाम से सीधा (दान)
तिल गुड का भोग
नाना प्रकार के लाइ






मकर संक्रांति की पावन सुबह है ये
सभी को बधाई!






दही चुडा भोजन
पतंगे गुल्ली डंडा
संध्या स्वादिष्ट खिचड़ी
तरकारी, पापड़, चोखा...


10 comments:

रचना दीक्षित said...

सुलभ जी आपको भी मकर संक्रांति के पावन पर्व पर बधाई. मेरे ब्लॉग पर आने और सराहना करने के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे इतनी सराहना मुझे रास नहीं आएगी, क्योंकि मुझे उसकी आदत नहीं है, फिर कहीं आपके मापदंड पर खरी ना उतरूं तो आप को भी तकलीफ होगी और मुझे भी.मेरा ब्लॉग ज्वाइन करने के लिए आभार
सादर रचना दीक्षित

निर्मला कपिला said...

आपको भी मकर संक्राँति की बहुत बहुत बधाई

राज भाटिय़ा said...

आप को भी मकर संक्रांति की बधाई

Anonymous said...
This comment has been removed by a blog administrator.
दिगम्बर नासवा said...

सुलभ जी .... बधाई बधाई मकर संक्रांति की ........ दान का महात्व, तिल गुड का भोग ....... अच्छा लगा बधाई देने का अंदाज़ ...... शुक्रिया मेरी ग़ज़लों को पसंद करने का .........

डॉ टी एस दराल said...

बहुत सुन्दर चित्रों सहित संक्रांति का अच्छा विवरण।
शुभकामनायें।
अनाम टिप्पणियों को रोकने के लिए सेटिंग्स में जाकर फेर बदल कर सकते हैं।

Urmi said...

मकर संक्रांति की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ!
बहुत बढ़िया पोस्ट !

सुनील गज्जाणी said...

hello sulabh jayaswal ji
sadar namaskar
nappy makar sankranti
i read ur blog..so nice and congratulates for ur blog..
i m sunil gajjani and i have a literature blot..i would like to add u as member so plz sir..if u join us..it will be our great pleasure..
thanks
sunil gajjani

सर्वत एम० said...

भाई सुलभ, मकर संक्रांति की पावन बधाई के संग माघी अमावस्या तथा लगे हाथ सूर्य ग्रहण की भी बधाई. मैं गोरखपुर से हूँ और मकर संक्रांति पर्व जिस जोश-खरोश के साथ वहां सम्पन्न होता है, खिचड़ी का जो माहौल वहां गोरखनाथ मन्दिर में देखा है, वो दूसरी जगहों पर नहीं मिला. आपने वो सारी यादें ताज़ा कर दीं.
एक बार फिर आप बाज़ी मार ले गए और मैं फिर देर कर गया. फोटो और छोटे-छोटे टुकड़ों में जिस तरह से आपने इस पर्व की कथा बुनी है, वो सराहनीय है.

अमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’ said...

भाई सुलभ जी, आपको भी संक्राति और माघी पूर्णिमा की बधाई!

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "