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Friday, December 11, 2009

टिप्पणी कीजिये खूब कोई शरारत ना कीजिये - ग़ज़ल


जैसा की आप सभी जानते हैं पिछले एक महीने से अपने प्यारे ब्लॉगजगत में कुछ उलजलूल हरकतें और अनावश्यक बहसे हुई हैं. दुखी होकर मैंने एक Post जारी किया था "शान्ति के लिए यह सन्देश आत्मसात करें " बहुतों ने इसकी सराहना की तो कुछ ने असहमति जताते हुए अपना पक्ष रहा जवाब में मैंने भी यथोचित बहस " मानवता के दुश्मन ब्लोगिंग से दूर रहें." कर मामले को नतीजे पर पहुंचा कर सभी से जिम्मेदार लेखन की अपील की. 

एक खबर सुन पढ़कर आज फिर मर्माहत हो गया हूँ. अब क्या करूँ न चाहते हुए भी आज एक  ग़ज़ल (अपने सतरंगी अंदाज से अलग) कुछ इस तरह कहना पड़  रहा है - 




इजहारे- खुराफात की  ज़हमत ना कीजिये  
खो जाये अमन-चैन ऐसी जुर्रत ना कीजिये  


जब ठेस लगे दिल पर शिकायत दर्ज कीजिये 
बहस कीजिये खुल कर अदावत ना कीजिये 


कलम चलाने के लिए यहाँ मुद्दे भरपूर हैं 
महज दिखावे के वास्ते खिलाफत ना कीजिये 


ये भारत वर्ष है अपना गौरवशाली हिन्दोस्ताँ
जाति-धरम के नाम पर सियासत ना कीजिये



जरुरी नहीं जो दिखता है वो ही लिखता है  
इस्तकबाल लाजिमी है इबादत ना कीजिये 


ब्लॉगरी कोई खेल नहीं बस इतना ख्याल रहे  
टिप्पणी कीजिये खूब कोई शरारत ना कीजिये 

- सुलभ जायसवाल 'सतरंगी'  

26 comments:

अजय कुमार said...

सही संदेश , सभी को ध्यान रखना चाहिये कि आपसी सौहार्द बना रहे

परमजीत सिहँ बाली said...

बढिया गजल है। अच्छा संदेश है।बधाई।

नीरज गोस्वामी said...

जरुरी नहीं जो दिखता है वो ही लिखता है
इस्तकबाल लाजिमी है इबादत ना कीजिये


ब्लॉगरी कोई खेल नहीं बस इतना ख्याल रहे
टिप्पणी कीजिये खूब कोई शरारत ना कीजिये

बहुत खूब लिखा है सुलभ जी सही और अच्छी बात कह गए हैं आप काश इसे हम सब गंभीरता से मान लें...
नीरज

संगीता पुरी said...

अच्‍छा संदेश देते हुए बिल्‍कुल सही रचना है .. बुद्धिजीवी वर्ग में आप अपने हर विचारों को मनवाने का हठ न करें .. हर के विचारों से तो हर का सहमत होना नामुमकिन है .. विरोध दर्ज होना स्‍वाभाविक तो है ही .. आपके विचारों को और मजबूत बनाने के लिए आवश्‍यक भी .. दिल को कष्‍ट दिए बिना भी बात बनती है .. तर्क से हर बात का जबाब देना चाहिए .. पर जबाब देने में कटु शब्‍दों का प्रयोग उचित नहीं !!

मनोज कुमार said...

आपने विषय की मूलभूत अंतर्वस्तु को उसकी समूची विलक्षणता के साथ बोधगम्य बना दिया है। बेहद तरतीब और तरक़ीब से अपनी बात रखी है। अभिनंदन है।

Arshia Ali said...

ये लीजिए हमने शरारत नहीं की और टिप्पणी भी कर दी।
अब तो आप खुश?
------------------
शानदार रही लखनऊ की ब्लॉगर्स मीट
नारी मुक्ति, अंध विश्वास, धर्म और विज्ञान।

Creative Manch said...

आपसी सौहार्द और सद्भावना का ख्याल
सभी को रखना चाहिये !
बेहतरीन सन्देश और बहुत सुन्दर गजल

आभार व शुभकामनायें

★☆★☆★☆★☆★☆★☆★
क्रियेटिव मंच
★☆★☆★☆★☆★☆★☆★

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

लीजिए हम टिप्पणी में आपकी सिर्फ तारीफ कर रहे हैं।
बहुत सुन्दर गजल कही है आपने।
बधाई।
अब तो आप खुश?
------------------
सलीम खान का हृदय परिवर्तन हो चुका है।

प्रवीण त्रिवेदी said...

खूब लिखा है सुलभ जी!!

Unknown said...

waah !@
badhiya baat

saaf suthree baat .

shaandaar aur saarthak rachnaa

____abhinandan !

Udan Tashtari said...

जरुरी संदेश दिया आपने इस पोस्ट के माध्यम से...

Renu goel said...

जब ठेस लगे दिल पर शिकायत दर्ज कीजिये
बहस कीजिये खुल कर अदावत ना कीजिये
बिलकुल सही कहा है आपने ...सभी पाठक हमारे
विचारों से सहमत हों जरूरी तो नहीं ... और ये
नियम तो सिर्फ ब्लॉग दुनिया में ही नहीं वरन
हमारे आस पास के सरे परिवेश में लागू होता
है ... अपनी किसी भी तरह की प्रतिकिर्या दे
देने से पहले यदि हम थोडा सोच लें तो बात
बिगड़ने की नौबत नहीं आती है ...

दिगम्बर नासवा said...

जब ठेस लगे दिल पर शिकायत दर्ज कीजिये
बहस कीजिये खुल कर अदावत ना कीजिये ...

ग़ज़ल के माध्यम से आपने बहुत कुछ समझाने का प्रयास किया है ...... अगर समझ आ सके तो ........ पर हमने ज़रूर एल लाजवाब ग़ज़ल पढ़ ली ....... शुक्रिया ..........

Khushdeep Sehgal said...

सुलभ जी,

बस ब्लॉगिंग से मुलाकात का मज़ा लीजिए,
अलग-अलग जज़्बात हैं,
आप अपने दिल को क्यों सज़ा दीजिए...
सतरंगी है दुनिया,
जैसा चाहे रंग, वैसे सजा लीजिए...

जय हिंद

जबलपुर-ब्रिगेड said...

ये भारत वर्ष है अपना गौरवशाली हिन्दोस्ताँ
जाति-धरम के नाम पर सियासत ना कीजिये
wah wah
pata nahin kya karaten hain log ab

Alpana Verma said...

जब ठेस लगे दिल पर शिकायत दर्ज कीजिये
बहस कीजिये खुल कर अदावत ना कीजिये ..

waaah!
blogging par itni achchee gazal!
kya baat hai!
badhayee.

निर्मला कपिला said...

कलम चलाने के लिए यहाँ मुद्दे भरपूर हैं
महज दिखावे के वास्ते खिलाफत ना कीजिये


ये भारत वर्ष है अपना गौरवशाली हिन्दोस्ताँ
जाति-धरम के नाम पर सियासत ना कीजिये

पूरी की पूरी गज़ल लाजवाब है सुन्दर सन्देश लिये हुये।बधाई औए धन्यवाद्

रंजू भाटिया said...

जब ठेस लगे दिल पर शिकायत दर्ज कीजिये
बहस कीजिये खुल कर अदावत ना कीजिये
बढिया गजल

Abhishek Ojha said...

सटीक सन्देश !

सदा said...

जब ठेस लगे दिल पर शिकायत दर्ज कीजिये
बहस कीजिये खुल कर अदावत ना कीजिये !


बहुत ही सार्थक शब्‍द रचना, बहुत-बहुत बधाई सुन्‍दर प्रस्‍तुति के लिये ।

डॉ महेश सिन्हा said...

शरारत करें भी तो ऐसी कि किसी को चोट न लगे

देवेन्द्र पाण्डेय said...

ब्लॉगरी कोई खेल नहीं बस इतना ख्याल रहे
टिप्पणी कीजिये खूब कोई शरारत ना कीजिये
---सत्य वचन।

sandhyagupta said...

जब ठेस लगे दिल पर शिकायत दर्ज कीजिये
बहस कीजिये खुल कर अदावत ना कीजिये

BAhut khub.

अर्कजेश said...

प्‍यारे ढंग से बहुत बढिया बात कह गए आप ।
संयमित होकर बिना व्‍यक्तिगत आक्षेप किए बात रखने की जरूरत है ।

बात सच है, पर चलन में है नहीं

Unknown said...

हम टिप्पणी कर रहे बस इसे हमारी शरारत ना समझिये !

Asha Joglekar said...

खूबसूरत गजंल में सीधी सच्ची बात ।

हुक्म आपका सर आंखों पर ले के यूं चले
बस टिप्पणी ही की है आप देख लीजीये ।

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "