अभी हाल ही में मेरे किसी शुभचिंतक ने मुझे मुफ्त की सलाह बांटने पर अपनी नाराजगी जाहिर की है. मैं परेशान, आख़िर मान लिया की गलती मेरी ही है. जाने अनजाने कुछ शे'र लिखे चले गए. आज की यह ग़ज़ल उसी शुभचिंतक के नाम पेश है -
अपनी जमीं के वास्ते आसमां तुम होगे
करोगे जुर्म कोई तो गवाह तुम होगे
बातबात पे ऐब ढूंढ़ना अच्छी बात नहीं
आइना जब देखोगे पशेमाँ तुम होगे
सलाह लाख दुरुस्त हो फिजूल मत बांटो
बदनाम एक दिन ख्वामखाह तुम होगे
फूलों के बीच बैठे हो काँटों से दिल लगाओ
मुमकिन है इस बाग़ के बागबाँ तुम होगे
ये माँ की दुआएं हैं कभी साथ न छोड़ेगी
साया तुम्हारा होगा वहां जहाँ तुम होगे
अपने माज़ी को हम भुला नहीं पाये हैं
मेरी याद में देखना परीशाँ तुम होगे ॥
(पशेमाँ = शर्मिंदा, माज़ी = अतित )
- सुलभ
14 comments:
बातबात पे ऐब ढूंढ़ना अच्छी बात नहीं
आइना जब देखोगे पशेमाँ तुम होगे
ग़ज़ल दिल को छू गई।
बेहद पसंद आई।
बातबात पे ऐब ढूंढ़ना अच्छी बात नहीं
आइना जब देखोगे पशेमाँ तुम होगे
अच्छा संदेश
सलाह लाख दुरुस्त हो फिजूल मत बांटो
बदनाम एक दिन ख्वामखाह तुम होगे
फूलों के बीच बैठे हो काँटों से दिल लगाओ
मुमकिन है इस बाग़ के बागबाँ तुम होगे
बहुत बहुत बधाई पूरी गज़ल ही काबिले तारीफ है
ये माँ की दुआएं हैं कभी साथ न छोड़ेगी
साया तुम्हारा होगा वहां जहाँ तुम होगे
बहुत खुब जी आप की पुरी रचना ही काबिले तारीफ़ है.
धन्यवाद
वाह क्या लिखा अपने
मेरी याद में देखना परेशाँ तुम होग
बस वो समझ ले ये बात..
ये माँ की दुआएं हैं कभी साथ न छोड़ेगी
साया तुम्हारा होगा वहां जहाँ तुम होगे
BAHUT HI KHOOBSOORAT GAZAL AUR YE SHER TO SEEDHE DIL KI RAAH JAATA HAI ... MAA KI DUVAAYEN SACH MEIN HAMESHA SAATH DETI HAIN .....
अपनी जमीं के वास्ते आसमां तुम होगे
कोई जुर्म करोगे तो गवाह तुम होगे
वाह ....!!
बातबात पे ऐब ढूंढ़ना अच्छी बात नहीं
आइना जब देखोगे पशेमाँ तुम होगे
बहुत खूब....!!
सलाह लाख दुरुस्त हो फिजूल मत बांटो
बदनाम एक दिन ख्वामखाह तुम होगे
सही कहा .....!!
फूलों के बीच बैठे हो काँटों से दिल लगाओ
मुमकिन है इस बाग़ के बागबाँ तुम होगे
अच्छा कोशिश करेगे ......!!
ये माँ की दुआएं हैं कभी साथ न छोड़ेगी
साया तुम्हारा होगा वहां जहाँ तुम होगे
बहुत खूब .....!!
अपने माजी को हम भुला नहीं पाये हैं
मेरी याद में देखना परेशाँ तुम होगे ॥
ये तो लाजवाब है ......!!
कमाल .........!!!!!
सलाह लाख दुरुस्त हो फिजूल मत बांटो
बदनाम एक दिन ख्वामखाह तुम होगे
-लो भई इतनी कीमती सलाह मुफ्त में मिल गई
मैने तो गठिया ली अपनी आप जानो।
फूलों के बीच बैठे हो काँटों से दिल लगाओ
मुमकिन है इस बाग़ के बागबाँ तुम होगे
ये माँ की दुआएं हैं कभी साथ न छोड़ेगी
साया तुम्हारा होगा वहां जहाँ तुम होगे..
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिखा है आपने ! हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गई!
बातबात पे ऐब ढूंढ़ना अच्छी बात नहीं
आइना जब देखोगे पशेमाँ तुम होगे
फूलों के बीच बैठे हो काँटों से दिल लगाओ
मुमकिन है इस बाग़ के बागबाँ तुम होगे
बेहद गहराई लिए हुए शेर है
लाजवाब ग़ज़ल
शुभ कामनाएं
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सुलभ जी ग़ज़ल पढ़कर आनंद आ गया और साथ ही आपने जो कठिन शब्दों के अर्थ दिए हैं वो बहुत सहायक हैं . आशा करता हूँ कि जिसके लिए लिखी है वो आपके दिल की बात समझेंगे
सलाह लाख दुरुस्त हो फिजूल मत बांटो
बदनाम एक दिन ख्वामखाह तुम होगे !
इतने सुन्दर शब्द हैं इन पंक्तियों के उतने ही गहन भाव छिपे हैं पूरी रचना में, लाजवाब प्रस्तुति के लिये, आभार ।
apne mazi ko hum bhoola nahi paye hai.
meri yaad mai dekhna pareshan tum hoge
kya bat hai,bahot khub bahot khub
फूलों के बीच बैठे हो काँटों से दिल लगाओ
मुमकिन है इस बाग़ के बागबाँ तुम होगे
nice lines
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