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अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Monday, November 9, 2009

सतरंगी परिभाषा - 7 "सफलता" 8 "असफलता"

सफलता -
"बहुत कुछ देने के बाद
बदले में
बहुत कुछ पाने के बाद
एक खुशी मात्र है "

असफलता -
"एक खुशी का पीछा करने के दौरान
रास्ते में मिली कुछ ठोकरें "

- सुलभ 'सतरंगी'

3 comments:

Ambarish said...

हमारे ब्लॉग पर आकर अपने विचार प्रकट करने के लिए शुक्रिया..
सुलभ सतरंगी said...
प्रयोग आपने किया जरुर, यह अच्छा भी लगा. परन्तु शुरुवात, अंत और शीर्षक में तालमेल की कमी लगी.
इतने आंसू बहाने के बाद, ग़म में बिछड़ने के बाद, बिसलेरी कैसे भली लगेगी. धुप में बहुत पसीना निकलने के बाद बिसलेरी मुझे कमाल की चीज़ लगी है. अगर यह व्यंग्य है तो ठीक ठीक समझ नहीं आ रही. (यह मेरी राय है. आप लिखते रहें... शुभकामनाएं)
November 8, 2009 11:45 PM

सुलभ जी... शुक्रिया... हाँ ये व्यंग्य ही है!!! ताल-मेल के बारे में मैं सोचता तो नही ज़्यादा.. पर इस केस में कुछ ऐसा है कि शुरुआत की मैने ख्वाब से, बीच में जुदाई का गम डाला और अंत में जो कुछ भी है उसकी व्याख्या में अपने बुद्धिजीवी वर्ग के किसी पाठक से एक्सपेक्ट कर रहा था पर आपने प्रश्न किया है तो बताते चलें कि बिसलेरी पीने से मेरा मतलब ये है कि "i've not lost my ways... i'm not gonna waste my life... i'm back to my normal life..." उम्मीद है आप एक बार फिर अपनी प्रतिक्रिया देंगे...

राज भाटिय़ा said...

सफ़लता ओर असफ़लता पर आप ने बहुत सुंदर लिखा, लेकिन हम खुशी मिलने परभी ओर ठोकर मिलने पर भी सबक तो लेते है

Urmi said...

वाह बहुत ही सुंदर और शानदार रचना लिखा है आपने! बधाई!

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "