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रामलीला में लंका दहन का काण्ड चल रहा था।
मंच पर हनुमान जोर जोर से उछल रहा था।
अचानक हो गई गलती भारी। चौपट हो गई पूरी तयारी।
हनुमान सचमुच ही आग लगा दी। पुरे पंडाल में हरकंप मचा दी।
एक सेवक आया भागते हुए। संयोजक से बोला घबराते हुए।
महोदय अनर्थ हो गया, जल्दी कुछ करवाएं।
पंडाल में आग लग गई, चल कर बुझायें।
संयोजक जो था मंत्री का चेला, गुर्राते हुए बोला।
अरे मुरख हम तुझे समझाते हैं, ऐसे मौके बार बार नही आते हैं।
जल जाने दो समूची लंका, आग लगाओ मिलकर सारे।
अपना क्या जाता है, बिमा करवा रखी है प्यारे।