चाहे लाख व्यस्तता हो, दुश्वारियां हो, अकेलापन हो या पागलपन कुछ जिम्मेदारियां हर हाल में निभायी जाती हैं. ये बात अगर हर कोई समझ ले तो अपना मुल्क भी तरक्की कर जाये और गौरवशाली इतिहासों एवं कुर्बानियों से भरा अपना प्यारा भारत दुनिया में नंबर १ कहलाये. मैं कहीं भी रहूँ स्कूल में, कालेज में, गली मोहल्ले के समितियों में या व्यवसायिक कार्य स्थल पर पुरे जोशोखरोश और फक्र से जश्ने-आज़ादी मनाता हूँ. एक बहुत ही ख़ास ग़ज़ल आप सबकी ख़िदमत में पेश है -
~~आप सभी साथियों को स्वाधीनता दिवस की हार्दिक बधाई! - सुलभ
कहीं हिन्दू किसी को मुस्लिम जरूर चाहिए
आज़ाद वतन में मुझको आज़ाद घर चाहिए
गली हो मंदिर वाली या कोई मस्जिद वाली
खुलते हों जहाँ रोज दुकान वो शहर चाहिए
इससे पहले कि ये तिरंगा हो जाये तार तार
हुक्मराँ में भी शहीदों वाला असर चाहिए
नहीं देखना वो ख्वाब ताउम्र जो आँखों में पले
मुख़्तसर इस जिंदगी में एक हमसफ़र चाहिए
जालिम नज़रों से बचके मैं जब भी घर को आऊं
किवाड़ खुलते ही मुझे प्यार भरी नज़र चाहिए
***~~आप सभी साथियों को स्वाधीनता दिवस की हार्दिक बधाई! - सुलभ
32 comments:
सुलभ जी, इस सुंदर गजल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें। आपकी बातों ने सचमुच मन को छू लिया।
………….
सपनों का भी मतलब होता है?
साहित्यिक चोरी का निर्लज्ज कारनामा.....
गली हो मंदिर वाली या कोई मस्जिद वाली
खुलते हों जहाँ रोज दुकान वो शहर चाहिए
Wah!Wah!Wah!
Bahut sundar sulabh ji, 2 bed room apartment gurgaon mein 25 lakh se shuru hotaa hai:)
गली हो मंदिर वाली या कोई मस्जिद वाली
खुलते हों जहाँ रोज दुकान वो शहर चाहिए
behad hridaysparshi lajawab
jai hind
गली हो मंदिर वाली या कोई मस्जिद वाली
खुलते हों जहाँ रोज दुकान वो शहर चाहिए
वाह वाह जी बहुत सुंदर. धन्यवाद
सुलभ जी..आपका आगमन आजादी के दिन.. का बात है सब ठीक है ना... कहाँ कैद रहे एतना दिन… खैर गजल में छिपा हुआ भावना को सलाम...
बढियां
बस यही कि आपको सारी सुविधाओं वाला एक घर चाहिए।
सुलभ जी आपकी इस गजल की क्या तारीफ करूं... मेरे पास शब्द नहीं हैं इतने समृद्ध कि इस खूबसूरत और जब्जे भरी गजल को सलाम। आपको स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाएं।
प्रेरणादायी रचना....आपके ली दुआए....
शहरे आज़ाद में तुम को घर भी मिले,
घर मिले, साथ में तुमको वर* भी मिले. [*जोड़ी]
बे ख़तर जो हो, वह रहगुज़र भी मिले,
द्वार पर राह तकती नज़र भी मिले.
गूँजे घंटी जहाँ साथ आज़ान के,
कारोबारी वहां हर बशर भी मिले.
हुक्मराँ हो वफादार अब देश में,
हाथ में हो तिरंगा जिधर भी मिले.
http://aatm-manthan.com पर भी....
mansoorali hashmi
अति सुन्दर......... अभिव्यक्ति ।
आपकी रचनाएं पढ़कर हॄदय गदगद हो गया।
भाव-नगरी की सुहानी वादियों में खो गया॥
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
आमीन !
सुलभ की आज के हालत की सच्चाई व्यक्त करती एक बेहतरीन रचना..स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई!!!!!
गली हो मंदिर वाली या कोई मस्जिद वाली
खुलते हों जहाँ रोज दुकान वो शहर चाहिए
बहुत सुन्दर ....सटीक...
बहुत सुन्दर भाव लिए रचना । आपको स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ।
इससे पहले कि ये तिरंगा हो जाये तार तार
हुक्मराँ में भी शहीदों वाला असर चाहिए
हक़ीकत बयान कर दी है इस शेर में आपने .....बहुत ही खूबसूरत और ओज़स्वी ग़ज़ल है ... सुलभ जी आपको स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ ......
इससे पहले कि ये तिरंगा हो जाये तार तार
हुक्मराँ में भी शहीदों वाला असर चाहिए
बहुत खूब !
बहुत ही अच्छी गज़ल है.
गली हो मंदिर वाली या कोई मस्जिद वाली
खुलते हों जहाँ रोज दुकान वो शहर चाहिए ।
सुन्दर शब्द रचना, बधाई ।
गली हो मंदिर वाली या कोई मस्जिद वाली
खुलते हों जहाँ रोज दुकान वो शहर चाहिए
.वाह ....क्या बात है ......
बहुत सुंदर .....!!
स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये ! ! - सुजीत
सुलभ जी..बढ़िया ग़ज़ल...आज लोग हिंदू-मुस्लिम के बीच में पड़े है जब की देश को कुछ और चाहिए...कब जागेंगे लोग..
सुंदर भाव ...धन्यवाद
sahi kaha aapne....
sundar rachna...
आपने कई भावों को समेटा है। कुछ अपेक्षाएं खुद से हैं और कुछ व्यवस्था से। आइए,इसकी शुरूआत अपनी नेकनीयती से करें।
aapki is lazwaab gazal ki ek -ek panktiyan dil me utar gai .bahut hi badhiya.
poonam
वाह ... बहुत खूब
क्या बात है
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ग़ज़ल के सभी शेर लाजवाब हैं
बहुत पसंद आई आपकी यह पोस्ट
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आभार
शुभ कामनाएं
बहुत सुन्दर.
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! उम्दा प्रस्तुती!
१५ अगस्त पर बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की आपने...
आभार...
moderation...?
:)
:)
नहीं देखना वो ख्वाब ताउम्र जो आँखों में पले
मुख़्तसर इस जिंदगी में एक हमसफ़र चाहिए..
वाह! बहुत ही सुन्दर और शानदार ग़ज़ल लिखा है आपने ! उम्दा प्रस्तुती!
सुन्दर ग़ज़ल के लिये मुबारकबाद के आप मुस्तहक़ हैं। मक़्ता की दुसरी पक्ति में "मुझे प्यार भरा नज़र"शायद जल्दी बाज़ी में छप गई है इसे "प्यार भरी नज़र"होनी चाहिये,सुधार लें।
bahut achhe
bahut khoob..:)
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