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अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Monday, September 28, 2009

विजय दशमी की बधाई!

असत्य पर सत्य की जीत हो
मित्रता और प्रेम के गीत हो !

समय रहते अन्दर के रावण को मारना होगा
भ्रष्ट-असमाजिक तत्वों को पराजित कर,
रामराज्य के सुन्दर अस्तित्व को स्वीकारना होगा !!

6 comments:

राज भाटिय़ा said...

आप को ओर आप के परिवार को विजयादशमी की शुभकामनांए.

दिल दुखता है... said...

आप को ओर आप के परिवार को विजयादशमी की शुभकामनांए.

Mumukshh Ki Rachanain said...

सुलभ जी,
आप को ओर आप के परिवार को भी विजयादशमी की शुभकामनांए.

नयी रचना की प्रतीक्षा है......

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

Urmi said...

वाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने! विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें!

Alpana Verma said...

aap ko bhi shubhkamanyen..

डिम्पल मल्होत्रा said...

achhi soch hai ramrajya ki...

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "