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अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Thursday, December 29, 2011

सिलसिला


बीते कुछ महीनो से
जमा रहा मैं तेरी यादों के संग
कोई असर नहीं रहा
सर्दी की सर्द बातों  का
सुबह घने कोहरे से भी
ज्यादा घना छाया
बीते मुलाकातों का धुंध

अब तो यही लगता है
आने वाले साल का हर पल
तुम्हारे नाम रहेगा
तुम मिलो या न मिलो
सफर यादों का यूँ ही
लम्बा होता जायेगा

और हाँ इंतज़ार तो रहेगा ही
कोई कमी न होगी अहसास में
और न टूटेंगे सपने कभी
साल दर साल
गहरे उतरता जाऊँगा मैं
तुम्हारी यादों में
जारी रहेगा ये  सिलसिला
उम्र भर !

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आप सभी साथियों को नव वर्ष की शुभकामनाएं
- सुलभ

14 comments:

मुकेश कुमार सिन्हा said...

dheron shubhkamnayen mere aur se bhi:)

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति|
आप को भी नव वर्ष की शुभकामनाएँ|

kshama said...

Sundar rachana!
Naye saal kee anek shubh kamnayen!

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छा लगा।
आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं!

M VERMA said...

यादों को गहराने दें

लोकेन्द्र सिंह said...

यादों का सिलसिला तो यूं ही हमेशा बढता जाता है...

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

आप को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ !

देवेन्द्र पाण्डेय said...

वाह!

दिगम्बर नासवा said...

और हाँ इंतज़ार तो रहेगा ही
कोई कमी न होगी अहसास में
और न टूटेंगे सपने कभी
साल दर साल
गहरे उतरता जाऊँगा मैं
तुम्हारी यादों में
जारी रहेगा ये सिलसिला
उम्र भर ...

बहुत खूब सुलभ जी ... किसी की यादों के समुन्दर में गहरे उतरते जाना प्रेम की ऊँचाइयों को छूते जाना होता है ... मज़ा आ गया पढ़ के ..
आपको नए साल की बहुत बहुत शुभकामनाएं ...

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

bahut sundar rahna.. Nav varsh par shubhkaamnayen..

Smart Indian said...

सुन्दर अभिव्यक्ति, नव वर्ष की शुभकामनाएँ!

Dimple Maheshwari said...

bahut sundar.....

rajiv jayaswal said...

पसंद आया

shadab ahmad said...

nice
http://shadabahmadkhan.blogspot.in/

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "