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अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Wednesday, June 30, 2010

एक अनोखा विवाह... कार्यक्रम तय 16 जुलाई 2010 को पटना में

मेरे मित्र मुकेश हिसारिया (माँ वैष्णो देवी सेवा समिति), जो पटना के
हैं, उन्होंने एक बीड़ा उठाया है, 51 जोड़ों सामूहिक विवाह का, वैसे जोड़े जो विवाह हेतु तैयार तो हैं पर स्थान और आर्थिक मजबूरी के कारण  कर नहीं पा रहे हैं.

सबसे पहले एक नज़र (हमारे समिति के कार्यकारिणी की ओर से)

समय की रेत पर वर्तमान जब इबारत लिख रहा होता है तो किसी की पता नहीं होता भविष्य के गर्भ में कैसा इतिहास अंगराइयां ले रहा है. लगभग आठ माह पूर्व मानव सेवा को ही सच्ची पूजा मानने वाले माँ वैष्णोदेवी के भक्त जब जमा हुए तो हमने भी नहीं सोचा था कि एक-एक कर जुड़ते जाएंगे और कारवाँ बनता जाएगा .

विगत २६ जनवरी को माँ वैष्णोदेवी सेवा समिति के तत्वाधान में आयोजित नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर में आये मरीजों की रुग्णता और गरीबी ने हम सभी को इतना आंदोलित किया कि हमारे मन में उठने वाले मानव सेवा के भाव ने एक ध्येय का स्वरुप ले लिया.

अपने मूल उद्देश्य 'वैष्णोधाम' का सपना साकार होता नज़र आने लगा. हमारा सपना 'वैष्णोधाम' को एक ऐसा संस्थान बनाने की है, जो निर्धन और असहायों के कल्याण हेतु शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य सुविधाओं से लैस एक ऐसा परिसर होगा, जहाँ व्यावसायिक गतिविधियों के लिए कोई स्थान नहीं होगा. अपने इस सपने को साकार करने की शुरुवात हमने गांधी मैदान में १६ मार्च को 'जागरण'  के आयोजन से की. 'वैष्णोधाम' की नींव रखने का शुभ कार्यक्रम का आयोजन नवरात्रा के पहले दिन तय है, लेकिन उससे पूर्व १६ जुलाई को समिति ने सामूहिक विवाह कार्यक्रम का भी आयोजन किया है.



 मुकेश जी ने ऐसे जोड़ो को एक जगह देने का प्रयास किया है.सभी रीती - रिवाजों के साथ ही ये अनोखे विवाह आगामी 16 जुलाई 2010 को
पटना के श्री कृष्ण मेमोरिअल हॉल में सम्पन्न होगा. इस आदर्श विवाह में
समाज के प्रबुद्ध और सम्मानित विभूतियों के आशीर्वाद के अलावा इन जोड़ों
को गृहस्थी आरम्भ करने की महत्वपूर्ण सामग्री भी उपहार स्वरुप प्रदान की
जाएगी.

यदि आपकी नजर में भी कोई ऐसा जोड़ा हो जिसकी आर्थिक मजबूरी उन्हें एक
नहीं होने दे रही हो, तो आप उनकी मदद कर सकते हैं. दो दिलों को मिलाने के
लिए यथा शीघ्र संभव उनके सम्पूर्ण विवरण के साथ जल्द ही मुझे sulabhjaiswal@gmail.com या मुकेश जी
को mhissariya@gmail.com पर मेल करें.
संपर्क सूत्र: 09835093446



Mukesh Hissariya (Social Activist)




धन्यवाद! (सुलभ जायसवाल)

Tuesday, June 15, 2010

बेचारा बहुरंगी

# ब्लोगरी की लत युवाओं और कुंवारों के लिए खतरनाक है. प्रस्तुत है एक हास्य व्यंग्य कथा (रिमिक्स)
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अरे बेटी सुनैना
ज़रा दो मिनट पास बैठना |

पापा आज आप बहुत खुश दिख रहे हैं
क्या कोई खुशखबरी है या मुझे देख हंस रहे हैं |

तुम तो जानती हो बेटी
तुम्हारे लिए वर की तलाश है
और आज बात बहुत ख़ास है
मैं मिलकर आया हूँ एक शख्स से
नाम है उसका बेचारा बहुरंगी
चेहरे से दिखता है विचारक
और बातों से कवि
कहने को तो मामूली सोफ्टवेयर प्रोग्रामर है
मगर वो एक ख्यातिप्राप्त ब्लोगर है
नए अनोखे रंग में पोस्ट बनाता है
तकनीक का ज्ञाता है
उभरता  कवि और संस्कारी गुणवान है
बहुत प्रतिभाशाली नौजवान है |

मैं उसकी और क्या तारीफ़ करूँ
सादा जीवन उच्च विचार है
की-बोर्ड का कलाकार है
मुझको तो लड़का बहुत पसंद है
तुम्हारे लिए वो सटीक रहेगा
बिटिया ज़माना इंटरनेट का है
सो यही ठीक रहेगा |







पिता की बात सुन
पुत्री की त्योरियां चढ़ गयी
वो सोफे से उखड़ गयी
डैड ! इट्स टू बैड
आपने मेरे लिए कैसा वर ढूंढा है
और कोई नहीं
एक हिंदी ब्लोगर ढूंढा है

पिताजी तब तो ससुराल में जीना मुहाल होगा
सोचिये मोनिटर स्पीकर के बीच रह
मेरा क्या हाल होगा
वे तो चिपके रहेंगे माउस और की-बोर्ड से
रात दिन प्यार जताएंगे अपने ब्लॉग से
मिनट मिनट पर ब्लॉग को खोलेंगे
मुझसे केवल चाय बनाने को बोलेंगे
रोज़ किसी मुद्दे पर खुद ही उलझ जायेंगे
मामला संवेदनशील है
मुझे समझायेंगे
वे बाते करेंगे हरदम शायराना
पिताजी बहुत मुश्किल होगा निभाना

वे तो शब्दों का जबरन व्यापार करेंगे
दोस्ती दुश्मनी सरेआम बाज़ार करेंगे
सुबह शाम इमेल गपशप प्रचार करेंगे
मासूम टिप्पणीयों पर अत्याचार करेंगे

पिताजी अपनी बिटिया पर तरस खाना
आप क्यूँ नहीं देखते आज का ज़माना
जनसँख्या प्रदुषण कितनी तेज गति से बढ़ रही
सड़के भी वाहनों से है खचाखच भरी
ट्रैफिक अनियंत्रित है औंधे मुंह खड़ी
न्याय व्यवस्था की ऐसी तैसी
भ्रष्टाचार में डूब गयी भारत की घड़ी

जिस देश में पांचवी फेल नेता मंत्री बनता है
वहीं एक ग्रेजुएट बेरोजगारी पर सिसकता है
पापा आप जिसे इंटरनेट क्रान्ति कहते है
वो तो सिर्फ पांच प्रतिशत आकड़ा है
जहाँ ज्ञानी कवि बुढापे तक उचित
पारिश्रमिक को तरसते हैं
वहीं फूहर लाफ्टर शो लाखों चट करते हैं
और आप यहाँ ब्लोगर की बात करते हैं



जब ब्लोगर इतने ही गंभीर हैं तो 
महंगाई के खिलाफ क्यों नहीं लड़ते हैं
जब घंटों ऑनलाइन रहते हैं
तब क्यों नहीं समस्याओं की सूची
अपने विधायक सांसद को मेल करते हैं

और पाठक भी माशा अल्लाह !
सिर्फ टिप्पणियों पर यकीन करते हैं
एक और बातें मुझे बहुत खलती है
पसंद नापसंद का शोर क्यूँ
जब पाठक रोज पहुँचती है

पापा मैं हूँ लड़की आधुनिक दिल की खुली
ऐसे ब्लोगर बलमा से तो मैं कुंवारी भली
मैं सब समझ चुकी हूँ
मुझे सब पता है
मैं भी कभी ब्लोगर रह चुकी हूँ |

- सुलभ


लिंक विदइन

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "