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Sunday, September 20, 2009

चाँद भी सजदे में है (ग़ज़ल)

आज रमजान का महिना भी गुजर गया और दशहरा प्रगति पर है। घर से दूर अकेले नए जगह में त्यौहार के रोमांच का पता न चला। हाँ यदि घर पर होता तो ईद साथियों के साथ खूब जमती । ख़ैर आज इस मौके पे आप सभी के खिदमत में एक ग़ज़ल अर्ज़ करता हूँ।

रं ओ गम अपने सारे भुला दो भाई
किसी से नफरत नही है बता दो भाई।

अपने वतन के वास्ते कितने वफादार हैं
राह में आए गद्दारों को यह दिखा दो भाई।

जब गूंजती हो शहनाई पड़ौसी के आँगन में
गीत तुम भी एक कोई गुनगुना दो भाई ।

झूटे नही थे बचपन की सेवइयां और मेले
गले लगके चाचा के अदावतें मिटा दो भाई।

बेहद पाक मंजर है, चाँद भी सजदे में है
शम्मा मुहब्बत का तुम भी जला दो भाई।।


11 comments:

Mishra Pankaj said...

बढिया लिखा है आपने बधाई
ईद मुबारक बाद

M VERMA said...

बेहद पाक मंजर है, चाँद भी सजदे में है
शम्मा मुहब्बत का तुम भी जला दो भाई।।
बहुत खूब लिखा है = बहुत सुन्दर पैगाम
वाह

डिम्पल मल्होत्रा said...

बेहद पाक मंजर है, चाँद भी सजदे में है
शम्मा मुहब्बत का तुम भी जला दो भाई।।khoobsurat chand ke sath khoobsurat post...ईद मुबारक बाद

सुशील कुमार जोशी said...

जब गूंजती हो शहनाई पड़ौसी के आँगन में
गीत तुम भी एक कोई गुनगुना दो भाई ।

-----------
बहुत अच्छा है

Mithilesh dubey said...

भाई वाह क्या बात है, दिल को छु गायी आपकी ये रचना। बहुत-बहुत बधाई//////////

Udan Tashtari said...

बढ़िया संदेश...उम्दा रचना.

ईद मुबारक!

Mumukshh Ki Rachanain said...

बेहद पाक मंजर है, चाँद भी सजदे में है
शम्मा मुहब्बत का तुम भी जला दो भाई।।

बहुत खूब.

हार्दिक बधाई.

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

रज़िया "राज़" said...

अपने वतन के वास्ते कितने वफादार हैं
राह में आए गद्दारों को यह दिखा दो भाई।
और..

बेहद पाक मंजर है, चाँद भी सजदे में है
शम्मा मुहब्बत का तुम भी जला दो भाई।।
मेरे रोगटे ख़दे कर गये आपके ये शे'र। लाजवाब।

Pawan Kumar said...

एक ऐसी रचना जो सीधे दिल से लिखी गयी.....अच्छी ग़ज़ल उन्वान बेहद खूबसूरत " चाँद सजदे में है" ...

shyam gupta said...

यथार्थ सुन्दर गज़ल, शम्मा के लिये ’की’ होगी.

prince said...

Satrangi yado ko dekha mann parsann ho gaya Rightir vady vadya khyalat waly han
ASGAR ALAM
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"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "