ज़रा भीड़ से हट कर तो देखो हाल मियाँ
तेज बहुत हो गयी है जमाने की चाल मियाँ
बेइंतिहा लगे हैं दौर में बाजारों को समेटने
पर घर में नहीं महफूज़ किसी का माल मियाँ
सियासत में कदम रखा और जादूगर बन गए
दिखा रहे हैं एक से बढ़कर एक कमाल मियाँ
कितने छाले पड़े हाथों में अब दिखा रौनके-ए-चमन
एक फूल आज तोड़ी तो उस पे हुआ बवाल मियाँ
अब चराग ढूँढता हूँ के थोड़ी रौशनी मिले
अँधेरे में खो गया इक जरूरी सवाल मियाँ
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