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अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Saturday, March 7, 2009

वाह होली!

होली के महीने में हवाओं में ग़ज़ब की रवानगी होती है। बिरला ही कोई इसके जादू से बच पाये। और जब बात गाँव की होली की हो तो बस यूँ कहिये "बोलो जी सर्रअरअ ररअ". इस साल की होली मेरे लिए बेहद ख़ास है, अपने सपनो को पूरा करने की दिशा में एक तेज़ कदम बढाया है. अपने प्रियजनों से दूर इस साल होली की महफिल "होली और हास्य" यहीं पर सजाता हूँ -

वाह होली -1

मन मोरा झकझोरे छेड़े है कोई राग
रंग अल्हड़ लेकर आयो रे फिर से फाग

आयो रे फिर से फाग हवा महके महके
जियरा नहीं बस में बोले बहके बहके

चहुँ ओर सुनो ढोलक तबले का शोर
शहनाई और मझीरे में खूब ठनी होड़

खूब ठनी होड़ भंग के साथ ठंडाई
बौराया देवर आज खाये मिठाई पे मिठाई

ससुराल की होली में जीजा हुए चित
सालियों के अखारे में भला कौन पायेगा जीत

प्रेम की पिचकारी चलेगी आज कोई गैर नहीं
घुसो पड़ोसी के रसोई में अब कोई बैर नहीं

वाह होली -2


गौना न भइल इ साल मनवा भइल उदास
नई दुल्हिन माइके में और होली आस पास

होली आस पास पर दिल में ना कोई उमंग
जब साजन नहीं अंगना में कोई काहें खेले रंग

घड़ीघड़ी अंखियन में एकही सपना आये
सामने द्वारे पर बालम हमरे आये

बालम हमरे आये, सखियाँ झूटबोल चिढाये
पहुना बिनु होली फेर अइसन न कभी आये

का से कहूँ दिल के हाल केहू ना समझे बात
बीहड़ बीहड़ दिन लागे नागन नागन रात

वाह होली - 3

रंग भरी पिचकारी पिया
तुमने जो चलाई
अंग अंग भीग गया
रंगों से नहाई.

झूम रही बागों में कलियाँ
डाली डाली बौराई
मस्त फागुनी हवाओं की
गुनगुनाती होली आई

रंगों से सराबोर हुई
मेरी सूरत भोली
मैं तो तुमसे हारी 'सुलभ'
और न करो ठिठोली

प्रेम का रंग बरसाना
मेरे जीवन भर हमजोली
रहूँ सदा तेरी बाहों में
मिटे न प्रेम की रोली।

12 comments:

राज भाटिय़ा said...

प्रेम का रंग बरसाना
मेरे जीवन भर हमजोली
रहूँ सदा तेरी बाहों में
मिटे न प्रेम की रोली।
बहुत ही सुंदर कविता.
्धन्यवाद

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर कविता. होली की बहुत शुभकामनाएम.

रामराम.

Mumukshh Ki Rachanain said...

बहुत सुन्दर कवितायेँ.
होली पर आपकी ठिठोली अच्छी लगी.

होली पर आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) said...

Achchi kavita.. holi ki shubhkamnaye

प्रवीण त्रिवेदी said...
This comment has been removed by a blog administrator.
अनुपम अग्रवाल said...

होली की रंगीनी उतर आयी है आपकी कविताओँ मेँ
और सीधे दिल से आती हुई लग रही है

बधाई

Divya Narmada said...

होली आयी है सखे!, करो रंग बौछार.
लगवा-लगा गुलाल लो, लाल-लाल हों गाल.
लाल-लाल हों गाल. भाल हो तिलकित-शोभित.
तुम जिस पर हो, वह भी हो नित, तुम पर मोहित.
कहे 'सलिल' कविराय, प्रेम की पहुनाई है.
गाओ फाग-कबीर सखे! होली आयी है.

योगेन्द्र मौदगिल said...

होली मुबारक....

gazalkbahane said...

आम तौर पर लोग ब्लॉग पर केवल अच्छा ,बहुत अच्छा,सुन्दर,बधाई लिख कर खुश करते हैं ,ब्लॉग पर सुझाव देना नाराजगी मोल लेना होता है।पर क्या करूं आदत से मजबूर लीजिये संभालिये एक सलाह
मन को मोरा की जगह-मन मोरे को अधिक लयवान रहेगा बाकी आपकी मर्जी।हां ब्लॉगिंग पर स्वागत तो है ही वरना क्यों लिखता यह टिपण्णी।अभिनव प्रथम कदम पर बधाई
अगर कविता या गज़ल में रुचि हो तो मेरे ब्लॉग पर आएं
http://gazalkbahane.blogspot.com/
http:/katha-kavita.blogspot.com
सस्नेह
श्यामसखा‘श्याम’

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

आदरणीय श्यामसखा जी, सहमत हूँ आपसे. गंभीर टिपण्णी के लिए धन्यवाद.

Anonymous said...

cute poems...

Anonymous said...

its almost one months... we want some more from you !!!

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "