होली के महीने में हवाओं में ग़ज़ब की रवानगी होती है। बिरला ही कोई इसके जादू से बच पाये। और जब बात गाँव की होली की हो तो बस यूँ कहिये "बोलो जी सर्रअरअ ररअ". इस साल की होली मेरे लिए बेहद ख़ास है, अपने सपनो को पूरा करने की दिशा में एक तेज़ कदम बढाया है. अपने प्रियजनों से दूर इस साल होली की महफिल "होली और हास्य" यहीं पर सजाता हूँ -
वाह होली -1
मन मोरा झकझोरे छेड़े है कोई राग
रंग अल्हड़ लेकर आयो रे फिर से फाग
आयो रे फिर से फाग हवा महके महके
जियरा नहीं बस में बोले बहके बहके
चहुँ ओर सुनो ढोलक तबले का शोर
शहनाई और मझीरे में खूब ठनी होड़
खूब ठनी होड़ भंग के साथ ठंडाई
बौराया देवर आज खाये मिठाई पे मिठाई
ससुराल की होली में जीजा हुए चित
सालियों के अखारे में भला कौन पायेगा जीत
प्रेम की पिचकारी चलेगी आज कोई गैर नहीं
घुसो पड़ोसी के रसोई में अब कोई बैर नहीं
वाह होली -2
गौना न भइल इ साल मनवा भइल उदास
नई दुल्हिन माइके में और होली आस पास
होली आस पास पर दिल में ना कोई उमंग
जब साजन नहीं अंगना में कोई काहें खेले रंग
घड़ीघड़ी अंखियन में एकही सपना आये
सामने द्वारे पर बालम हमरे आये
बालम हमरे आये, सखियाँ झूटबोल चिढाये
पहुना बिनु होली फेर अइसन न कभी आये
का से कहूँ दिल के हाल केहू ना समझे बात
बीहड़ बीहड़ दिन लागे नागन नागन रात
वाह होली - 3
रंग भरी पिचकारी पिया
तुमने जो चलाई
अंग अंग भीग गया
रंगों से नहाई.
झूम रही बागों में कलियाँ
डाली डाली बौराई
मस्त फागुनी हवाओं की
गुनगुनाती होली आई
रंगों से सराबोर हुई
मेरी सूरत भोली
मैं तो तुमसे हारी 'सुलभ'
और न करो ठिठोली
प्रेम का रंग बरसाना
मेरे जीवन भर हमजोली
रहूँ सदा तेरी बाहों में
मिटे न प्रेम की रोली।
12 comments:
प्रेम का रंग बरसाना
मेरे जीवन भर हमजोली
रहूँ सदा तेरी बाहों में
मिटे न प्रेम की रोली।
बहुत ही सुंदर कविता.
्धन्यवाद
बहुत सुंदर कविता. होली की बहुत शुभकामनाएम.
रामराम.
बहुत सुन्दर कवितायेँ.
होली पर आपकी ठिठोली अच्छी लगी.
होली पर आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं
Achchi kavita.. holi ki shubhkamnaye
होली की रंगीनी उतर आयी है आपकी कविताओँ मेँ
और सीधे दिल से आती हुई लग रही है
बधाई
होली आयी है सखे!, करो रंग बौछार.
लगवा-लगा गुलाल लो, लाल-लाल हों गाल.
लाल-लाल हों गाल. भाल हो तिलकित-शोभित.
तुम जिस पर हो, वह भी हो नित, तुम पर मोहित.
कहे 'सलिल' कविराय, प्रेम की पहुनाई है.
गाओ फाग-कबीर सखे! होली आयी है.
होली मुबारक....
आम तौर पर लोग ब्लॉग पर केवल अच्छा ,बहुत अच्छा,सुन्दर,बधाई लिख कर खुश करते हैं ,ब्लॉग पर सुझाव देना नाराजगी मोल लेना होता है।पर क्या करूं आदत से मजबूर लीजिये संभालिये एक सलाह
मन को मोरा की जगह-मन मोरे को अधिक लयवान रहेगा बाकी आपकी मर्जी।हां ब्लॉगिंग पर स्वागत तो है ही वरना क्यों लिखता यह टिपण्णी।अभिनव प्रथम कदम पर बधाई
अगर कविता या गज़ल में रुचि हो तो मेरे ब्लॉग पर आएं
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सस्नेह
श्यामसखा‘श्याम’
आदरणीय श्यामसखा जी, सहमत हूँ आपसे. गंभीर टिपण्णी के लिए धन्यवाद.
cute poems...
its almost one months... we want some more from you !!!
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