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अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Tuesday, January 20, 2009

परिवर्तन

समय का पहिया पल पल आगे बढ़ता जाय
यू ही देखते देखते जनवरी दिसम्बर बन जाय
जनवरी दिसम्बर बन जाय काम अच्छे करो सारे
कर्मफल मिलेगा यहीं बात समझो प्यारे
कह सुलभ कविराय 'परिवर्तन' है एक अटल नियम
कभी 'ओबामा' चमके तो कभी गिरा 'सत्यम'

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "