मित्रों, पेश है एक ग़ज़ल के कुछ शेर -
चार दिन की जवानी लिखेंगे
उस में सौ सौ कहानी लिखेंगे
तुम उसे जिंदगानी समझना
हम जहाँ आग-पानी लिखेंगे
ख़ुदकुशी बाद में हम करेंगे
पहले खेती किसानी लिखेंगे
तपते सेहरा में जब आ चुके हैं
रेत पर नौजवानी लिखेंगे
चाँद की रोशनाई मिली है
रात को रातरानी लिखेंगे
घुल रही है मोहब्ब्त फ़ज़ा में
हमसफ़र जाफरानी लिखेंगे
बेच सकते नहीं हम अना को
आदतें खानदानी लिखेंगे