इन दिनो ब्लोगरी के लिये मनोनुकूल वक्त नही मिलता.
आदरणीय श्री दिगम्बर जी ने पुछा कि सुलभ कोई नयी गजल है तो पोस्ट लगाईये उनके विशेष अनुरोध पर कुछ पंक्तियां...
ये तो जुल्म हुआ रोशनाई पर
जो हम लिख रहे हैं मंहगाई पर
हुआ नाम जिनका सचाई पर
वही उतरे अब बेहयायी पर
मोती अश्क के वे छुपा न पाये
बिटिया की रस्मे बिदाई पर
फटेहाल बच्चे क,ख, सिखते
व्यवस्था की फटी चटाई पर
अजी क्या कहें और किसे कहें
रूठे यार की बेअदाई पर
---
~~ आप सभी साथियों को दीप पर्व की मंगलकामनाएं !!
आदरणीय श्री दिगम्बर जी ने पुछा कि सुलभ कोई नयी गजल है तो पोस्ट लगाईये उनके विशेष अनुरोध पर कुछ पंक्तियां...
ये तो जुल्म हुआ रोशनाई पर
जो हम लिख रहे हैं मंहगाई पर
हुआ नाम जिनका सचाई पर
वही उतरे अब बेहयायी पर
मोती अश्क के वे छुपा न पाये
बिटिया की रस्मे बिदाई पर
फटेहाल बच्चे क,ख, सिखते
व्यवस्था की फटी चटाई पर
अजी क्या कहें और किसे कहें
रूठे यार की बेअदाई पर
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~~ आप सभी साथियों को दीप पर्व की मंगलकामनाएं !!
- सुलभ