जिस महान संत के विचारों से मेरे व्यक्तित्व में जो भी न्यूनाधिक या उल्लेखनीय विकास हुआ है वो हैं स्वामी विवेकानंद. उनके आह्वान अनिवार्य रूप से आधुनिक मनुष्य के लिए एक मंत्र है. विवेकानंद जी ने जीवन पर्यंत "आत्म जागरण" पर बड़ा जोर रखा, तथ्य यह है कि आप निरंतर जाग रहे हैं और उन्नति की ओर प्रशस्त हैं. समस्त समाज के उत्थान के लिए चिंतित हैं, प्रयासरत हैं . जागना और जगाना है अपने भीतर के स्व की सुंदरता के लिए. वसुधैव कुटुम्बकम के लिए.
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक अपने लक्ष्य तक ना पहुँच जाओ.
Arise, Awake, and Stop Not Till the Goal Is Reached!