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हम आपके सहयात्री हैं.

अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Thursday, December 29, 2011

सिलसिला


बीते कुछ महीनो से
जमा रहा मैं तेरी यादों के संग
कोई असर नहीं रहा
सर्दी की सर्द बातों  का
सुबह घने कोहरे से भी
ज्यादा घना छाया
बीते मुलाकातों का धुंध

अब तो यही लगता है
आने वाले साल का हर पल
तुम्हारे नाम रहेगा
तुम मिलो या न मिलो
सफर यादों का यूँ ही
लम्बा होता जायेगा

और हाँ इंतज़ार तो रहेगा ही
कोई कमी न होगी अहसास में
और न टूटेंगे सपने कभी
साल दर साल
गहरे उतरता जाऊँगा मैं
तुम्हारी यादों में
जारी रहेगा ये  सिलसिला
उम्र भर !

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आप सभी साथियों को नव वर्ष की शुभकामनाएं
- सुलभ

Sunday, October 23, 2011

ये तो जुल्म हुआ रोशनाई पर

इन दिनो ब्लोगरी के लिये मनोनुकूल वक्त नही मिलता.

आदरणीय श्री दिगम्बर जी ने पुछा कि सुलभ कोई नयी गजल है तो पोस्ट लगाईये उनके विशेष अनुरोध पर कुछ पंक्तियां...


ये तो जुल्म हुआ रोशनाई पर
जो हम लिख रहे हैं मंहगाई पर

हुआ नाम जिनका सचाई पर
वही उतरे अब बेहयायी पर

मोती अश्क के वे छुपा न पाये
बिटिया की रस्मे बिदाई पर

फटेहाल बच्चे क,ख, सिखते
व्यवस्था की फटी चटाई पर

अजी क्या कहें और किसे कहें
रूठे यार की बेअदाई पर 
---

~~ आप सभी साथियों को दीप पर्व की मंगलकामनाएं !!

‍- सुलभ

Wednesday, August 31, 2011

हम जाग रहे हैं


   जिस महान संत के विचारों से मेरे व्यक्तित्व में जो भी न्यूनाधिक या उल्लेखनीय विकास हुआ है  वो हैं स्वामी विवेकानंद.  उनके आह्वान अनिवार्य रूप से आधुनिक मनुष्य के लिए एक मंत्र है. विवेकानंद जी ने जीवन पर्यंत "आत्म जागरण" पर बड़ा जोर रखा, तथ्य यह है कि आप निरंतर जाग रहे हैं और उन्नति की ओर प्रशस्त हैं.  समस्त समाज के उत्थान के लिए चिंतित हैं, प्रयासरत हैं . जागना और जगाना है अपने भीतर के स्व की सुंदरता के लिए.  वसुधैव कुटुम्बकम के लिए.


उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक अपने लक्ष्य तक ना पहुँच जाओ.
Arise, Awake, and Stop Not Till the Goal Is Reached!


 

Thursday, July 21, 2011

भारत वर्ष !



जब आंतरिक मामले हों कमजोर 
और हास्यास्पद हो विदेश नीति
अनुशाशन शुचिता क़ानून प्रबंधन 
शून्य हों राजनैतिक इच्छाशक्ति 

भ्रष्टाचार के नशे में धुत गाड़ीवान 
जब हम बैलों के ऊपर बोझ लादे 
जबरन पिलाए रोज दूषित पानी
और शाम बारूद के उपर खूंटे बांधे 

इसे आजादी का चरमोत्कर्ष कहिये 
विशाल लोकतंत्र भारत वर्ष कहिये !!
 - सुलभ

Wednesday, May 11, 2011

सवाल बहुत है


स-वाल बहुत है
ब-वाल बहुत है

सोने की चिड़िया

कंगाल बहुत है
 

देश बंट न जाये
हड़ताल बहुत है

 
बांटते चलो ज्ञान
 अ-काल बहुत है




आँगन सिमट गया
दी-वाल बहुत है

  यारो ब्याह-शादी 

जंजाल बहुत है

'सुलभ' तेरे जेह्न
में
 भू-चाल बहुत है

 

Monday, March 28, 2011

एक नयी क्रान्ति की शुरुवात...

(कार्य की अधिकता के कारण पोस्ट पब्लिश करने में थोडा विलम्ब हुआ है.)
अमर शहीद भगत सिंह तो हमारे दिल में रहते हैं, जिन्होंने कहा था  "क्रांति का मतलब यह नहीं कि हम सिर्फ संघर्ष के लिए उत्प्रेरित करें और ना ही ये कभी किसी के व्यक्तिगत प्रतिशोध का माध्यम बने. यह बम और पिस्तौल का पंथ नहीं है. क्रांति इसलिए जरुरी है जहाँ से एक बेहतर नींव पर व्यवस्थित समाज के पुनर्निर्माणके लिए कार्यक्रम चलाये जाएं."

ये ऐसी बातें है जो मुझे सदैव प्रेरित करती है राष्ट्रहित में चिंतन करने एवं कुछ योगदान करने के लिए, फलस्वरूप हाल ही में मैंने कुछ गंभीर कार्य करने का मन बनाया है, अब उस दिशा में अग्रसर भी हूँ. "बातें बिजनस की" सीरीज को आगे बढाते हुए पोस्ट यहाँ प्रस्तुत है - हम हैं भारत के पढ़े लिखे मूरख नौजवान.


बहरहाल इस साल की होली भी यादगार रही. नए कार्यस्थल पर नए साथियों के बीच केवल शब्दों से होली खेली गयी. एक में दर्जन का मजा उठाया. आजकल हास्य लिखने की कोशिश करता हूँ तो मामला कुछ जम नहीं पाता. फिर भी एक सामयिक ताजा शेर आप सबकी ओर फेंकता हूँ.


"इन्टरनेट में फंसे और सरेआम हो गए
एक क्लिक किया और बदनाम हो गए
ख़त नोटिस समाचार बधाई विज्ञापन
इमेल के बौछार में सब स्पाम हो गए "
  - सुलभ 

Saturday, March 19, 2011

~~~वाह होली वाह~~~



सब से पूछ रहे हैं - आज तारीख केतना है, और कौन दिनवा होली है.
लेकिन कोई ब्लोगर कुछ बता नहीं रहा है. जब तक कोई बताता नहीं है तब तक हम यहीं बैठ के भांग घोटल लस्सी पीते रहेंगे. 


तब तक आप लोगन गीत सुनिए...

रंग भरी पिचकारी पिया
तुमने जो चलाई
अंग अंग भीग गया
रंगों से नहाई.
झूम रही बागों में कलियाँ
डाली डाली बौराई
मस्त फागुनी हवाओं की
गुनगुनाती होली आई
रंगों से सराबोर हुई
मेरी सूरत भोली
मैं तो तुमसे हारी 'सुलभ'
और न करो ठिठोली
प्रीत का रंग बरसाना
मेरे जीवन भर हमजोली
रहूँ सदा तेरी बाहों में
मिटे न प्रेम की रोली।


(~~~बधाई~~~बधाई~~~बधाई~~~)

Monday, March 7, 2011

शिकवे सारे मन के धो ले

आँखों से वे  जब भी बोले
राज वफ़ा के अपने खोले

दिल से दिल की बात हो गई 
चुपके  चुपके  धीमे  हौले

कैसे भूलूँ  अपना बचपन
चार आने के चार टिकोले
 
(मेरे छोटे शहर अररिया जिला की स्थिति )
फसलें सूखी,  भीगे सपने
बाढ़ से पहले बरसे शोले

पल में माशा पल में तोला 
एक इंसां के कई कई चोले

छोटी   छोटी  गजलों में  तू
सुंदर सुंदर शब्द पिरो ले

दुनिया भर के सुख को समेटे
देख साधू के सिर्फ एक झोले

बरसों बाद  मिले हैं  अपने
शिकवे सारे  मन के धो ले

हाले दिल 'सुलभ' लिक्खा कर  
पढ़ कर मन  तो हल्का हो ले ||



Sunday, February 27, 2011

बातें बिज़नेस की


जब किसी मरीज की तबियत मे कोई सुधार नही होता तब डाक्टर एक सलाह देते हैं जाईए किसी नए जगह पर कुछ दिन बिताईए नए लोगों से मिलिये, सब कुछ सही हो जाएगा. उदासियों के बादल छंट जाएंगे. कुछ भी खाना रुचेगा, अपने काम मे फिर से मन लगने लगेगा. मतलब आपकी जिंदगी खुबसूरत हो जायेगी. ये बात बिलकुल सही है मैने खुद पर आजमाया और सफल हुआ.

पिछले तीन चार सालों मे पढाई, मनोनुकूल नौकरी की तलाश, सुंदर भविष्य निर्माण के चक्कर मे आफिस और निवास के बहुत से जगह बदले. इस दौरान २०-३० के युवाओं  के बीच ज्यादा समय गुजरा. दिल्ली (एन.सी.आर) मे जो एक बात हर जगह देखने को मिली वो ये कि ‍ ज्यादातर युवा महानगरीय जीवानशैली मे खुद को परफेक्ट रखने की कोशीश में ‍‍संघर्ष कर रहे है. सैटेलाईट चैनलों के दिखावे, बहकावे और प्रिंट व टेलीविजन विज्ञापणों के मायाजाल में गिरफ्त हैं. जो बेरोजगार है ऐसा लगता है उनके सामने विकल्पों की भारी कमी है. वे परेशान हैं एक अदद जॉब के लिये. वे अपना रिज्युमे कुछ खास सेक्टरों मे ही भेज रहे हैं जैसे आई.टी. (सोफ्टवेयर, हार्डवेयर, नेटवर्किंग ), फाईनांस (बैंकिग, इंसोरेंश, शेयर ट्रेडिंग), कालसेंटर, बी.पी.ओ  और अंत मे कोई बात न बने तब सेल्स एंड मार्केटिंग. स्वयं का बिजनेस शुरू करने का जोश या ख्याल न के बराबर!

जो युवा जॉब मे हैं उनकी दिनचर्या मे भी मानो विकल्पों की भारी कमी है. ऑफिस से शाम में तो कभी रात नौ दस बजे तक बाहर ही डीनर एंजोय करते हुये  थक कर आएंगे. थके हुये न भी हों तो भी बहुत थके होने का अहसास कराएंगे. पी.जी. मे अथवा फ्लैट में साथ रहने वाले रूममेट्स से कुछ ऐसी चर्चा करेंगे. "यार शादी से पहले सेक्स जरूरी है... तुम्हारी कैसी चल रही है... हां सिर्फ मोबाईल पर बातें होती है देखें कब तक वो हां करती है..." वैसे शादी का मूड किसी का नही हैं... कोई कहता है "मैं भी जाब चेंज की सोच रहा हुं... दो साल का इक्सपीरिएंस होने वाला है... पैकेज यहां बढ़ती है तो ठीक वर्ना कंपनीयों की कमी थोड़े है.... पूणे से भी एक काल आई हुयी है..." कोई एम.टी.वी. रोडीज देखते हुये कहता है "तू एक बार ट्राई कर जिंदगी मे एडवेंचर का मजा ले... यहां साली नाइट शिफ्ट बी.पी.ओं मे क्या रक्खा है..." कभी ये सुनने को मिलता  "अरे तू खाली डिनर पैक कर लाया, बीयर नही लाया! साले आज तुम्हारी ट्रीप है भूल गया..." तो कभी किसी संडे की शाम, "आज बारह बजे तक सोया हफ्ते भर की थकान मिटाई फिर कपड़े सपड़े धोये, द चीकन लीकन(नॉएडा का एक रेस्टोरेंट ) वाले से लंच मंगवाया, लैपटोप पे वाल स्मिथ की मूवी इंडीपेंडेंस डे देखा. तुमने क्या किया सारा दिन..." "मैं तो ईवेंट पे गया था गुड़गावं एम्बीयेंस माल वहाँ रीयल एस्टेट की एक बडीं क्लाईंट से मिलना था. कंपनी ने मेरे को भेजा था डरते डरते प्रेजेंटेशन दे कर आया हूँ. अगर डील फाईनल हो गयी तो समझो तुम लोगों को जानी वाकर पिलाउंगा तुम लोगों ने तो सिर्फ नाम ही सुना होगा न..." "चल तू ज्यादा मत बोल मुझे भी  क्लाईंट ऑफ़र करते हैं... ...! " ... !!   

"और बॉस आपकी कैसी चल रही है?" किसी ने मेरे उपर ईशारा किया. (ये भी एक फैशन है अपने अगल बगल रहने वाले साथियों को संबोधित करने का ). "..अरे इनसे मत पुछो ये कवि आदमी हैं, देश को सुधारने की बात  करते हैं. कल नाईट में बस एक ग्लास बियर लेने के बाद ही शुरू हो गए. कोई सोसायटी संगठन बनाने की बात कर रहे थे. हमारे तो भेजे से ऊपर निकला गया. ये इंटरनेट पर कविता लिखते हैं. भइये  खुद को बदल डालो यही बहुत है. देश तो भगवान् भरोसे चल रहा है जैसे कि अपनी जॉब पता नहीं कब निकाल दिया जाये."  किसी दुसरे ने टोका "यू मीन ब्लोग? येस येस! ...गुड डैट इज गुड हाबी. आई एम अलसो राईटिंग ब्लोग. माई सबजेक्ट इज स्मार्ट एंभेस्टमेंट इन फलाक्चुयेट  मार्केट."

मैं जवाब में बस इतना ही कह पाया "तुमने ठीक कहा खुद को बदल डालो यही बहुत है, देश अपने आप सुधर जायेगा. वैसे मेरा यहाँ खूब मन लग रहा है. सोफ्टवेयर कंसल्टेंसी के फील्ड में हूँ, मंडे टू फ्राइडे ऑफिस ड्यूटी. रविवार को साफ़ सफाई, मिलना मिलाना या पोस्टें पढना, (कविता, ग़ज़ल, हास्य, कुछ भी) लिखना. एक दिन सेटरडे को बिजनेस (स्वयं को बिजी रखने) की प्लानिंग करता हूँ. और हाँ एक गुड न्यूज है. मैंने अपना बिजनेस का रजिस्ट्रेशन करा लिया है. अब तो बिजनेस को हलके में नहीं लूँगा." जैसे पिछले दो साल से करता आया था. फिर किसी ने टोका "बाय द वे आप करना क्या चाहते हैं?" मैंने बोला "छोटा मुंह बड़ी बात. मैं अपने जीवन में एक लाख युवाओं को बिजनेस ट्रेनिंग देना चाहता हूँ जिसमे ज्यादातर भारतीय युवा हों जहां वे स्वयं के बनाए हुए विदेश के क्लाइंट्स को इन्टरनेट पे डील करें और आत्मविश्वास से ये बोलें कंपनी अगर जॉब से निकाल भी दे तो कोई फिकर नहीं अपना साईड बिजनेस से खर्चा निकलता रहेगा  "  (शेष अगले भाग में जारी...)

ये पोस्ट विशेष कर मैंने 20 से 30 के युवाओं के लिए लिखा है. बाकी सभी नए पुराने ब्लोगर साथियों के लिए जिनके मेल आते रहते हैं बड़े स्नेह से पूछते हैं सुलभ कुछ नया नहीं लिख रहे हो. अभी कल ही नोएडा के फ्लावर एग्जिबिशन में गया हमारे पी.जी. के पास वाले स्टेडियम में ही लगा है, बहुत तरह के फूलों और केक्टस के पौधे देखे. बोनसाई ने विशेष आकर्षित किया (देखें चित्र ).







चलिए कुछ पंक्तियाँ पेश है....

रौनके महफ़िल में मुश्किलात पेश करते हैं
 
उलझे उलझे से हम
ख्यालात पेश करते है
कोई रो रो कर अपने जज़्बात पेश परते हैं
हम हँसते हुए मुकम्मल हालात पेश करते हैं

- सुलभ

लिंक विदइन

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "