मेरे लिए नववर्ष का आरम्भ एक गंभीर चिंतन का अवसर होता है. हर नये साल में बधाइयों एवं शुभकामनाओं के बीच एक संकल्प भी लिया जाता रहा है. लिए गए संकल्पों के बाद क्या हमने अपनी बिखरी शक्तियों का संचय कर उचित दिशा में इसका प्रयोग किया है? यह सवाल भी कभी कभी हमारे चिंतन का विषय होता है, परन्तु यह हर वर्ष हो इसकी गारंटी नहीं है.
जैसा कि अधिकांश ये होता आया है "संकल्पों पर दृढ़ता से कायम न रहना", और यही हुआ भी. आज तीन साल बाद फिर एक दृढ संकल्प लेने और उनपर सख्ती से अम्ल करने की जरुरत महसूस हो रही है. इसका मतलब साफ़ है आने वाले वर्ष में एक श्रमजीवी के रूप में कुछ उल्लेखनीय कार्य करने ही होंगे.
जैसा कि अधिकांश ये होता आया है "संकल्पों पर दृढ़ता से कायम न रहना", और यही हुआ भी. आज तीन साल बाद फिर एक दृढ संकल्प लेने और उनपर सख्ती से अम्ल करने की जरुरत महसूस हो रही है. इसका मतलब साफ़ है आने वाले वर्ष में एक श्रमजीवी के रूप में कुछ उल्लेखनीय कार्य करने ही होंगे.
यह तो हुई मेरी बात. जो कि तय है मैं अवश्य करूँगा. अब बात करते हैं कुछ औरों की, जिन्होंने इस मौके पर कुछ अच्छे संकल्प लिए हैं (?)
पाकिस्तान - " हम संकल्प लेते हैं आइन्दा अमेरिका से कोई मदद नहीं लेंगे, हमें इसकी जरुरत नहीं होगी क्यूंकि चीन ने भारतविरोधी अभियानों में मदद करने का वादा किया है"
अमेरिका - "हम अपने पैसो और ताकतों का इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ लोकहित में कल्याणकारी योजनाओं में करेंगे. युद्ध से हमारा कोई रिश्ता नहीं होगा. हाँ दुनिया भर के देशो में उनके किसी विवादों के बीच मध्यस्थता करने वाले एजेंटों को उचित पारिश्रमिक देते रहेंगे. भारी मेहनताना सिर्फ उन्ही एजेंटों को मिलेगा जो विवादों को जीवनभर निभायेंगे"
मनमोहन सिंह - "मैं संकल्प लेता हूँ अब नए साल से अपने देशवासियों को कोई शिकायत का मौका नहीं दूंगा. मैं अपनी चुप्पी तोरुंगा, किसी भी मामले में कोई भी ब्यान देने से पहले मैं सोनिया जी से परामर्श नहीं लूँगा. मैं सिर्फ राहुल बाबा से अनुमति लेना जरुरी समझूंगा"
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आप सभी ब्लोगर साथियों के लिए नया साल शुभ और प्रगति-दायिनी हो. हार्दिक शुभकामनाएं !!!
- सुलभ