हर लम्हा कट रहा है अब नीलामी के इंतिजार में
बेमेल रिश्ते बेहिसाब कीमत अपनों के बाज़ार में
कैसा ज्ञान कैसी तुलना अब लेन-देन की बात है
मारा गया कवि आज उम्मीदों के संसार में ॥
Thursday, April 9, 2009
दुल्हे की खरीद-फरोख्त (Hindi Hasya Vyangya)
Online in Hindi Posted by (Sulabh Jaiswal)
Sulabh Jaiswal "सुलभ"
समय
2:53 PM
2
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