Tuesday, March 25, 2008
यादों का इन्द्रजाल... Poetry by Sulabh Jaiswal: एक सुलभ सर्वसुलभ
Online in Hindi Posted by (Sulabh Jaiswal)
Sulabh Jaiswal "सुलभ"
समय
1:39 PM
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Monday, March 24, 2008
मस्त फाल्गुनी हवाओं की गुनगुनाती होली आयी...
रंगभरी मस्ती मे डूबी मस्तानों की टोली आयी
मस्त फाल्गुनी हवाओं की गुनगुनाती होली आयी ।
गली गली मे रौनक है घर मे हो रहा हंगामा
जिसको देखो वही रंगीन जीजा भाभी या हो मामा ।
छक कर खाओ पुवे पकवान लस्सी और मिठाई
नाचो गाओ और बजाओ ढोलक मंझीरे शहनाई ।
हर जीवन में बनी रहे यही उमंग यही तरंग
अपना पराया किसे कहें हर किसी पे डाले रंग ॥
- सुलभ जायसवाल
२२ मार्च २००८
Online in Hindi Posted by (Sulabh Jaiswal)
Sulabh Jaiswal "सुलभ"
समय
7:29 PM
2
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