रात आती है तेरी याद लिए आती है
यादों की रंगीन बरात लिए आती है
यह मुश्किल है कि तेरी याद ना आये
कैसे भूलूं वो मुलाक़ात लिए आती है ।
यादों के भंवर मे किनारा नही मिलता
आसमा मे दुसरा सितारा नही मिलता
तनहा दिल है मेरा तेरे इंतज़ार मे
जीने का और सहारा नही मिलता।
कोशिश तुम्हारे पास आने की है
प्यार भरे दिल मे समाने की है
ये दूरियां कब ख़त्म होगी
एहसास जवा तुम्हे पाने की है।
और इंतज़ार बेक़रार किये जाती है
नींद भी मुझसे इनकार किये जाती है
आँखों मे सिर्फ तेरे ख्वाब लिए आती है
रात आती है और तेरी याद लिए आती है।
Friday, June 22, 2007
तेरी याद लिए आती हैं।
Online in Hindi Posted by (Sulabh Jaiswal)
Sulabh Jaiswal "सुलभ"
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5:00 PM
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प्रेम कविता
Tuesday, May 8, 2007
1857 के विद्रोह के 150 साल (देखिए रेखाचित्र के माध्यम से )
1. इलाहाबाद में विद्रोहियों पर हमला. तारीख- 13 जून, 1857
2. लखनऊ में 25 सितंबर, 1857 को रेजीडेंसी के पास विद्रोहियों और अंग्रेज़ों के बीच हुआ संघर्ष
3. 14 सितंबर, 1857 को अंग्रेज़ों ने दिल्ली के कश्मीरी गेट पर हमला किया
(साभार- भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद)
Online in Hindi Posted by (Sulabh Jaiswal)
Sulabh Jaiswal "सुलभ"
समय
11:07 PM
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