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अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Tuesday, December 23, 2008

सुप्रभात (Good Morning)




सूर्य की पहली किरण से आज मैंने साक्षात्कार किया
बिखड़े आत्मविश्वास को समेट पुनः विचार किया
हे परमात्मा, मेरे दृढ़ इच्छाशक्ति को बनाए रखना
रहूँ सदा कर्तव्यपरायण ऐसा सदविचार किया .


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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "