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अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Thursday, March 26, 2020

उसी विधि सब रहें जिस विधि राखे राम, उस कवि को सौ सौ बार प्रणाम !


उस कवि की कल्पना सच हुयी, उस कवि को सौ सौ बार प्रणाम !

उस कवि ने लिक्खा था एक गाँव हो 
एक अपना बगिया, शीतल छाँव हो 
मुँह धोवें हम दातुन तुलसी पानी से 
हाथ मिले पहले पशुपंछी किसानी से 
एक चुप हो सौ सुख हो टहलने में 
केवल एक मेले हों बारह महीने में 
कुछ दिनों का उपवास एकांत विहार हो 
एक सांझ भोजन माड़भात फलाहार हो 
बच्चे हमारे बंधु बांधव परदेस में विद्वान् हों 
संकट कोई आए कभी उनके संग हनुमान हों 

उसी विधि सब रहें जिस विधि राखे राम 
उस कवि की कल्पना सच हुयी, 
उस कवि को सौ सौ बार प्रणाम !

- सुलभ जायसवाल, बसंतपुर (अररिया कोर्ट ) से 




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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "