हर विभाग आज सुस्त और बेहाल है
काम कुछ नही सिर्फ़ हड़ताल है ।
भ्रष्ट्राचार का तिलक सबके भाल है
भेड़िये ओढे भेड़ की खाल है।
उपरवाले तो तर मालामाल है
हमारे खाते में आश्वासनों का जाल है।
घोटालो से त्रस्त देश कंगाल है
नेता बजा रहें सिर्फ़ गाल है।
लोकतंत्र की बिगड़ी ऐसी चाल है
ईमानदार मेहनती जनता फटेहाल है।
चोर पुलिस नेता की तिकरी कमाल है
राजनीति जैसे लुटेरों का मायाजाल है।
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