(1)
चाहो तो तुम मुझे एक लम्बा इंतिजार दो
पर कियामत तक की कोई ख़ुशी उधार दो
या तो हमारे प्यार को इक रिश्ते का नाम दो
या जो रिश्ता है दरम्यां उसे प्यार दो !!
(2)
तेरे आने से पहले कितनी झूटी थी तन्हाई
मैं कैसे क्या कहूँ, क्या है इसकी गहराई
एक समंदर सूखा रहता था ख्यालों में मेरे
अब यादें समंदर और जब तब तूफां आई !!
5 comments:
Shaandaar sher kahe hain.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
बेहतरिन रचना अतिसुन्दर
यादो का जो दौर वो बीता था, आपकी सायरी ने उनको अंजाम दे दया, उठने वाली हर लहरों को एक नाम दे दिया, उत्क्रिस्ट रचना
वाह बहुत खूब! लाजवाब शेर ! मुझे बेहद पसंद आया!
अच्छी प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई....
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