जब कोई अनपढ़ मजदूर दिनभर की दिहारी मिलने के बाद. कपड़ोवाली गलियों से गुजरते हुए राशन के बकाये में सिर्फ आधा चूका पाता है....
जब कोई प्रतिभाशाली नौजवान, एक स्वप्नद्रष्टा किसी अप्ल्शिक्षित के यहाँ चुपचाप नौकरी करता है....
जब कोई कमजोर, अपनों की रय्यत में, अपने ही लोगों की गालियाँ सुन खामोश सहता है...
तब मुझे दो जून की रोटी का मतलब समझ में आता है ।
6 comments:
वाह ! भाई वाह !, मजा आ गया.
बहुत खूब लिखा है आपने, सिने में नस्तर जैसा लगा आपका लेख पढ़कर ! वाह वाह .वाह के अलावा कुछ नहीं है..
लिखते रहे...बधाई...
भाई बिलकुल सही लिखा है, धन्यवाद
बहुत ही सही है दो जून की रोडी का मतलब ।
रोटी पढें ।
दो जून की रोटी और गरीबी का दरद बहु बढ़िया।
दो जून की रोटी और गरीबी का दरद बहु बढ़िया।
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