हर लम्हा कट रहा है अब नीलामी के इंतिजार में
बेमेल रिश्ते बेहिसाब कीमत अपनों के बाज़ार में
कैसा ज्ञान कैसी तुलना अब लेन-देन की बात है
मारा गया कवि आज उम्मीदों के संसार में ॥
Thursday, April 9, 2009
दुल्हे की खरीद-फरोख्त (Hindi Hasya Vyangya)
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Hasya Kavita,
हास्य कविता
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2 comments:
मारा गया कवि आज उम्मीदों के संसार में ॥
बहुत खूब कहा.
इसी लिए तो कवि की पहचान है, बढ़ी हुई दाढ़ी, लम्बे-लम्बे बाल, कंधे पर एक अदद झोला,
फिर आज के आर्थिक युग में ऐसे जंतु का बड़ा मोल कौन लगायेगा ??????????????????????
चन्द्र मोहन गुप्त
Hi,
Thanks for visiting my blog and posting your valuable comments.
Yes of course I like Hindi literature.Sarat chandra is my Favorite.Read few of poem like march closing,dulahe ke khareed..mahatma gandhi..like your expression of thoughts.
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