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अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Friday, May 25, 2012

मौसमी हम क्या खोजें (Ghazal)

 
मौसमी हम क्या खोजें
कुदरती हम क्या खोजें

रात दिन बस जल रहे
जिंदगी हम क्या खोजें

चाँद में ही दाग है
चांदनी हम क्या खोजें

तीरगी ही तीरगी
रोशनी हम क्या खोजें

बेहयायी जिस तरफ
सादगी हम क्या खोजें

मौत खुद ही आएगी
दुश्मनी हम क्या खोजें

राह चलते मिली ग़ज़ल
शायरी हम क्या खोजें

मुफलिसी के दौर में
सनसनी हम क्या खोजें

 
- सुलभ

10 comments:

Mansoor ali Hashmi said...

बहुत कुछ खोज डाला है bhaai aapne तो.

kshama said...

रात दिन बस जल रहे
जिंदगी हम क्या खोजें
Kya gazab kee baat kahee aapne!

M VERMA said...

मुफलिसी के दौर में
सनसनी हम क्या खोजें

सनसनी तो विरासत में मिली है
बहुत सुन्दर गज़ल

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत खूबसूरत रचना, शुभकामनाएं.

रामराम

Vinay said...

bhai waah!

Asha Joglekar said...

तीरगी ही तीरगी
रोशनी हम क्या खोजें

बेहयायी जिस तरफ
सादगी हम क्या खोजें

बहुत खूब ।

gumnaam pithoragarhi said...

bahut achchhi gazalen kahi hain sir badhai

teriliyejindagi.blogspt.com said...

अतिसुन्दर रचना ।

teriliyejindagi.blogspt.com said...

अतिसुन्दर रचना ।

Rajneesh Martand said...

Bahoot khoob

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "