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अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Wednesday, May 11, 2011

सवाल बहुत है


स-वाल बहुत है
ब-वाल बहुत है

सोने की चिड़िया

कंगाल बहुत है
 

देश बंट न जाये
हड़ताल बहुत है

 
बांटते चलो ज्ञान
 अ-काल बहुत है




आँगन सिमट गया
दी-वाल बहुत है

  यारो ब्याह-शादी 

जंजाल बहुत है

'सुलभ' तेरे जेह्न
में
 भू-चाल बहुत है

 

21 comments:

kshama said...

स-वाल बहुत है
ब-वाल बहुत है

सोने की चिड़िया
कंगाल बहुत है

बांटते चलो ज्ञान

अ-काल बहुत है

आँगन सिमट गया
दी-वाल बहुत है
Bakhoobee likha hai!
Bahut dinon tak aap gayab rahe...aaj padhke achha laga!

ZEAL said...

कभी कभी मन में उठते सवाल सच में एक भूचाल सा खड़ा कर देते हैं।
सार्थक रचना।

डॉ टी एस दराल said...

बांटते चलो ज्ञान
अ-काल बहुत है

फिर भी कोई ज्ञान लेने को राज़ी नहीं होता ।
इतनी छोटी बह्र में ग़ज़ल लिखना अपने आप में एक उपलब्धि है । बहुत खूब लिखा है ।

Mansoor ali Hashmi said...

सुन्दर रचना . बधाई.

"सुलभ को इतनी उलझन?
कमाल...बहुत है!"

http://aatm-manthan.com

Abhishek Ojha said...

बहुत कुछ बहुत है. :)

Unknown said...

सचमुच .. जेह्न में

भू-चाल बहुत है .. उनसे उपजे सवाल बहुत है !

राज भाटिय़ा said...

स-वाल बहुत है
ब-वाल बहुत है

सोने की चिड़िया
कंगाल बहुत है
बहुत सटीक रचना जी, धन्यवाद

BrijmohanShrivastava said...

bahut achchhee lage chhoti see rachna

Pawan Kumar said...

एकदम नए काफिये से सजी ग़ज़ल.......वैसे तो सरे के सारे शेर अच्छे हैं मगर ये तो कमाल का है.
सोने की चिड़िया
कंगाल बहुत है

virendra sharma said...

ये ज़िन्दगी है लम्बी ,जंजाल बहुत हैं ।
हैं गरीबी के कई टापू ,हिन्दुस्तान बहुत हैं ।
तू काम से मत चूक तूफ़ान बहुत हैं .
दुश्यन्तजी ने कहा था -
कल नुमायश में मिला वह चीथड़े पहने हुए ,
मैंने पूछा नाम तो बोला के हिन्दुस्तान है ।
एक गुडिया की कई कठपुतलियों में जान है ,
आज शायर यह तमाशा देख कर हैरान है .

डॉ. मोनिका शर्मा said...

आँगन सिमट गया
दी-वाल बहुत है


सोने की चिड़िया
कंगाल बहुत है

Behtreen Panktiyan rachi hain....

virendra sharma said...

आपकी अगली रचना का इंतज़ार बहुत हैं ,
इस देश में बवाल बहुत हैं ,
तूफ़ान बहुत हैं ,भू -चाल बहुत हैं .

निर्झर'नीर said...

aapki kalam ka kamaal bahut hai ..

दिवस said...

भाई सुलभ जी आप मेरे ब्लॉग को Follow कर रहे हैं...मैंने अपने ब्लॉग के लिए Domain खरीद लिया है...पहले ब्लॉग का लिंक pndiwasgaur.blogspot.com था जो अब www.diwasgaur.com हो गया है...अब आपको मेरी नयी पोस्ट का Notification नहीं मिलेगा| यदि आप Notification चाहते हैं तो कृपया मेरे ब्लॉग को Unfollow कर के पुन: Follow करें...
असुविधा के लिए खेद है...
धन्यवाद....

इस्मत ज़ैदी said...

chhoti bahr ki khoobsoorat ghazal
badhai ho sulabh ji

Dr (Miss) Sharad Singh said...

स-वाल बहुत है
ब-वाल बहुत है
सोने की चिड़िया
कंगाल बहुत है


बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
हार्दिक शुभकामनायें !

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

बहुत सुन्दर रचना.....

हर शेर खुद को बयां कर रहा है

Asha Joglekar said...

गज़ल ये आपकी कमाल बहुत है ,
अब हम और क्या कहें,वाचाल बहुत हैं ।

Smart Indian said...

वाह!

Rajat Narula said...

brilliant post,, short, crisp clear and extremly effective... sedha dil cheer jati hai...

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "