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अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Saturday, March 19, 2011

~~~वाह होली वाह~~~



सब से पूछ रहे हैं - आज तारीख केतना है, और कौन दिनवा होली है.
लेकिन कोई ब्लोगर कुछ बता नहीं रहा है. जब तक कोई बताता नहीं है तब तक हम यहीं बैठ के भांग घोटल लस्सी पीते रहेंगे. 


तब तक आप लोगन गीत सुनिए...

रंग भरी पिचकारी पिया
तुमने जो चलाई
अंग अंग भीग गया
रंगों से नहाई.
झूम रही बागों में कलियाँ
डाली डाली बौराई
मस्त फागुनी हवाओं की
गुनगुनाती होली आई
रंगों से सराबोर हुई
मेरी सूरत भोली
मैं तो तुमसे हारी 'सुलभ'
और न करो ठिठोली
प्रीत का रंग बरसाना
मेरे जीवन भर हमजोली
रहूँ सदा तेरी बाहों में
मिटे न प्रेम की रोली।


(~~~बधाई~~~बधाई~~~बधाई~~~)

21 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...
This comment has been removed by the author.
पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

मनभावन गीत,
आपको होली की हार्दिक शुभकामनाये !

kshama said...

Nihayat sundar geet!
Holee mubarak ho!

वीनस केसरी said...

भाई बहुत कुछ देखा,, किसी को स्ट्रा से लस्सी पीते नहीं देखा था आपको देख लिया

जय हो

होली मुबारकां

Patali-The-Village said...

होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|

Dr Xitija Singh said...

आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं

ZEAL said...

होली के अवसर पर बेहतरीन रंग-रंगीला गीत। होली मुबारक हो।

डॉ टी एस दराल said...

अति सुन्दर ।
होली की हार्दिक शुभकामनायें ।

दिगम्बर नासवा said...

वाह वाह ... का गीत है बचुआ ... सुलभ जी ...
आपको और समस्त परिवार को होली की हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएँ ....

वन्दना अवस्थी दुबे said...

रंग-पर्व पर हार्दिक बधाई.

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

चलिए हम बताये देते हैं ... आज होली है और आपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएं !

केवल राम said...

एकदम मनभावन प्रस्तुति ..हर शब्द दिल पर असर कर गया...आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें

रचना दीक्षित said...

मनमोहक प्रस्तुति.
आप को सपरिवार होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ.

Unknown said...

होली की हार्दिक शुभकामनाएं ! !

Mansoor ali Hashmi said...

सुन्दर प्रस्तुति, होली की बधाई .

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

सुलभ भाई
रंग भरा स्नेह भरा अभिवादन !

झूम रही बागों में कलियां
डाली डाली बौराई


वाऽऽह ! बढ़िया लिखा है … हार्दिक बधाई !


♥ होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥

होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!


- राजेन्द्र स्वर्णकार

Arun sathi said...

मिटे न मन की रोली............सुन्दर. होली मुबारक।

लोकेन्द्र सिंह said...

सुलभ जी जितना भंग का खुमार नहीं चढ़ा उतना आपकी इस कविता ने शुरुर पैदा कर दिया......

BrijmohanShrivastava said...

भाई क्या प्यारे प्यारे दुलारे शव्द प्रयोग किये है बस यूं समझिये कि मजा आगया जिन्दगी का ।हमजोली, ठिठोली, बेचारे कान्वेंटी बच्चे तो समझ ही न पाते होंगे कि ये ठिठोली क्या होता है या क्या होती है। बरसाना शव्द दो अर्थ लिये है एक तो वह बरसाना जो होली के लिये और कन्हैया के लिये प्रसिध्द ाहै और दूसरा रंग उपर से डाल कर भिगोना। गुनगुनाती से याद आया
गुनगुनाती हुई आतीं है फलक से बूंदे
कोई वदली तेजी पाजेब से टकराई है।

जीत भार्गव said...

भगत सिंह ने सही कहा था. लेकिन जिस तरह गांधी को कोंग्रेस ने अपनी कैद में डाला रखा है इसी तरह भगत सिंह को भी कम्यूनिस्टो ने भगतसिंह कोया अपनी बपौती बना दी है. और रक्तरंजित व राष्ट्रद्रोही नक्सल गतिविधियों के लिए भी भगतसिंह की पावन क्रांति के समकक्ष खडा करने की पैशाचिक कोशिशे की जा रही हैं.

RameshGhildiyal"Dhad" said...

सुलभ जी, नमस्कार ..
आप ने अररिया को बहाना बना कर अच्छा सरल गीत बना डाला..बहुत अछे...
अररिया में हम फंस से गए थे जब कलकत्ता में पुरनिया के ? कुछ पाकिस्तानी अजेंतो ने विस्फोट किया था.
ओकरे बाद हम फंस गये पुरनिया में...रात तीन बजे होटल में मेरे कमरे में जोर की खट-खट और..सामने पुलिस पूछने पर पता चला एक सेठ की बेटी ससुराल जाते हुए रास्ते से ही नौकर के साथ फरार हो गई..
आपने पुराणी याद तजा कर दी! धन्यवाद..

लिंक विदइन

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "