आँखों से वे जब भी बोले
राज वफ़ा के अपने खोले
दिल से दिल की बात हो गई
चुपके चुपके धीमे हौले
कैसे भूलूँ अपना बचपन
चार आने के चार टिकोले
(मेरे छोटे शहर अररिया जिला की स्थिति )
फसलें सूखी, भीगे सपने
बाढ़ से पहले बरसे शोले
पल में माशा पल में तोला
एक इंसां के कई कई चोले
छोटी छोटी गजलों में तू
सुंदर सुंदर शब्द पिरो ले
दुनिया भर के सुख को समेटे
देख साधू के सिर्फ एक झोले
बरसों बाद मिले हैं अपने
शिकवे सारे मन के धो ले
हाले दिल 'सुलभ' लिक्खा कर
पढ़ कर मन तो हल्का हो ले ||
राज वफ़ा के अपने खोले
दिल से दिल की बात हो गई
चुपके चुपके धीमे हौले
कैसे भूलूँ अपना बचपन
चार आने के चार टिकोले
(मेरे छोटे शहर अररिया जिला की स्थिति )
फसलें सूखी, भीगे सपने
बाढ़ से पहले बरसे शोले
पल में माशा पल में तोला
एक इंसां के कई कई चोले
छोटी छोटी गजलों में तू
सुंदर सुंदर शब्द पिरो ले
दुनिया भर के सुख को समेटे
देख साधू के सिर्फ एक झोले
बरसों बाद मिले हैं अपने
शिकवे सारे मन के धो ले
हाले दिल 'सुलभ' लिक्खा कर
पढ़ कर मन तो हल्का हो ले ||
20 comments:
बरसों बाद मिले हैं अपने
शिकवे सारे मन के धो ले
आज तो सच में शिकवे आपको मिटाने पढेंगे ... इतने इतने दिनों बाद क्यों लिखते हो ...
आशा है सब ठीक ठाक होगा .. मज़ा आ गया इस ग़ज़ल को पढ़ कर ..
फसलें सूखी, भीगे सपने
बाढ़ से पहले बरसे शोले
पल में माशा पल में तोला
एक इंसां के कई कई चोले
बहुत खूब , बड़े दिनों बाद कलम उठाने पर एक पर पुनह आपका स्वागत !
फसलें सूखी, भीगे सपने
बाढ़ से पहले बरसे शोले ...
मानो अपने दर्द पियो दिया हो आपने शब्दों में ... बहुत खूब ..
पल में माशा पल में तोला
एक इंसां के कई कई चोले
दुनिया भर के सुख को समेटे
देख साधू के सिर्फ एक झोले
बहुत सुन्दर बातें कहीं हैं । बढ़िया ।
बरसों बाद मिले हैं अपने
शिकवे सारे मन के धो ले
हाले दिल 'सुलभ' लिक्खा कर
पढ़ कर मन तो हल्का हो ले ||
Wah!Saaree panktiyan sundar hain,par uprokt khaas hee pasand aayeen!
@दिगंबर जी, गोदियाल जी, आपके स्नेह से अभिभूत हूँ. असल में इस साल प्रायोरिटी मिशन कुछ और है सो ब्लॉग तो आप सबों के और अन्यों के पढ़ लेता हूँ, कुछ टिप्पणियों में हाल समाचार भी बता देता हूँ. पर खुद के ब्लॉग पर निरंतर लिखना मुश्किल होता है. बीच बीच में आता रहूँगा. शुक्रिया आप सबों का.!!
.
दिल से दिल की बात हो गई
चुपके चुपके धीमे हौले ...
दिल से दिल की बात अक्सर ऐसे ही होती है , धीमे-धीमे, हौले-हौले....
.
बरसों बाद मिले हैं अपने
शिकवे सारे मन के धो ले
बहुत सुंदर पंक्तियाँ
छोटी बहर , उम्दा शेर.
विशेष अच्छे लगे:-
बरसों बाद मिले हैं अपने
शिकवे सारे मन के धो ले
हाले दिल 'सुलभ' लिक्खा कर
पढ़ कर मन तो हल्का हो ले .
ये भी:-
छोटी छोटी गजलो में तू,
सुन्दर सुन्दर शब्द पिरोले.
-m.hashmi
बहुत खूबसूरत रचना, धन्यवाद
फसलें सूखी, भीगे सपने
बाढ़ से पहले बरसे शोले
Khoobsurat rachna k liye badhai
वाह, सुलभ जी, क्या गजब धाय है आपने ... पढकर मन प्रेअसंना हो गया ... साथ ही ऐसा असरदार शेर के क्या कहने ...
फसलें सूखी, भीगे सपने
बाढ़ से पहले बरसे शोले
हाले दिल 'सुलभ' लिक्खा कर
पढ़ कर मन तो हल्का हो ले ||
यह बात बहुत अच्छी है. दिलो-दिमाग पर संयम आज के वख्त कि सबसे बड़ी जरूरत है. सुंदर विचारों से ओतप्रोत बढ़िया नज़्म.
मैं पिछले कुछ महीनों से ज़रूरी काम में व्यस्त थी इसलिए आपके ब्लॉग पर नहीं आ सकी!
बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने! बढ़िया लगा!
मज़ा आ गया इस ग़ज़ल को पढ़ कर|धन्यवाद|
वर्षों बाद मिले सुलभ जी....
उनको पढ़ के आनंद भाई लेले..... \
उत्तम रचना सुलभ भाई बधाई हो....
आपके प्रोजेक्ट की विस्तृत जानकारी चाहूँगा ताकि मैं आपके साथ जुड़ सकूँ....
lokendra777@gmail.com
9893072930
आप को होली की हार्दिक शुभकामनाएं । ठाकुरजी श्रीराधामुकुंदबिहारी आप के जीवन में अपनी कृपा का रंग हमेशा बरसाते रहें।
आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!
आप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.
मेरे ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/04/blog-post_26.html
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