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अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Friday, June 22, 2007

तेरी याद लिए आती हैं।

रात आती है तेरी याद लिए आती है
यादों की रंगीन बरात लिए आती है
यह मुश्किल है कि तेरी याद ना आये
कैसे भूलूं वो मुलाक़ात लिए आती है ।

यादों के भंवर मे किनारा नही मिलता
आसमा मे दुसरा सितारा नही मिलता
तनहा दिल है मेरा तेरे इंतज़ार मे
जीने का और सहारा नही मिलता।

कोशिश तुम्हारे पास आने की है
प्यार भरे दिल मे समाने की है
ये दूरियां कब ख़त्म होगी
एहसास जवा तुम्हे पाने की है।

और इंतज़ार बेक़रार किये जाती है
नींद भी मुझसे इनकार किये जाती है
आँखों मे सिर्फ तेरे ख्वाब लिए आती है
रात आती है और तेरी याद लिए आती है।

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "