जब आंतरिक मामले हों कमजोर
और हास्यास्पद हो विदेश नीति
अनुशाशन शुचिता क़ानून प्रबंधन
शून्य हों राजनैतिक इच्छाशक्ति
भ्रष्टाचार के नशे में धुत गाड़ीवान
जब हम बैलों के ऊपर बोझ लादे
जबरन पिलाए रोज दूषित पानी
और शाम बारूद के उपर खूंटे बांधे
इसे आजादी का चरमोत्कर्ष कहिये
विशाल लोकतंत्र भारत वर्ष कहिये !!
- सुलभ
10 comments:
इसे आजादी का चरमोत्कर्ष कहिये
विशाल लोकतंत्र भारत वर्ष कहिये !!
अति हर चीज़ की बुरी होती है आज़ादी की भी\ शुभकामनायें।
हिन्दुस्तानियों को गलत फहमी में जीने की बहुत पुरानी बीमारी है !
व्यवस्था की नाकामी से उपजी निराशा और आक्रोश का सही चित्रण।
इसे आजादी का चरमोत्कर्ष कहिये..
आपका और हमारा निष्कर्ष कहिये ..
अब कैसे इस तंत्र को हर्ष कहिये ..
विशाल लोकतंत्र बस भारत वर्ष कहिये !!
चित्रण वास्तविकता को दर्शाती !
जब आंतरिक मामले हों कमजोर
और हास्यास्पद हो विदेश नीति........
तब तो यह सब होना ही है....
आज के भारत की वास्तविकता दर्शाती पोस्ट
dukh hai aaj ke samaaj kaa....zimmedari hai humari ki hum bayaan kar ise
http://teri-galatfahmi.blogspot.com/
सुलभ जायसवालजी
जन्मदिवस की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
आपकी मनोकामना पूर्ण हो .. जनमदिन पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!!
सुलभ भाई,
जन्मदिन की ढेरों मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं!
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