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अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Thursday, July 21, 2011

भारत वर्ष !



जब आंतरिक मामले हों कमजोर 
और हास्यास्पद हो विदेश नीति
अनुशाशन शुचिता क़ानून प्रबंधन 
शून्य हों राजनैतिक इच्छाशक्ति 

भ्रष्टाचार के नशे में धुत गाड़ीवान 
जब हम बैलों के ऊपर बोझ लादे 
जबरन पिलाए रोज दूषित पानी
और शाम बारूद के उपर खूंटे बांधे 

इसे आजादी का चरमोत्कर्ष कहिये 
विशाल लोकतंत्र भारत वर्ष कहिये !!
 - सुलभ

10 comments:

निर्मला कपिला said...

इसे आजादी का चरमोत्कर्ष कहिये
विशाल लोकतंत्र भारत वर्ष कहिये !!
अति हर चीज़ की बुरी होती है आज़ादी की भी\ शुभकामनायें।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

हिन्दुस्तानियों को गलत फहमी में जीने की बहुत पुरानी बीमारी है !

मनोज कुमार said...

व्यवस्था की नाकामी से उपजी निराशा और आक्रोश का सही चित्रण।

Unknown said...

इसे आजादी का चरमोत्कर्ष कहिये..
आपका और हमारा निष्कर्ष कहिये ..
अब कैसे इस तंत्र को हर्ष कहिये ..
विशाल लोकतंत्र बस भारत वर्ष कहिये !!

चित्रण वास्तविकता को दर्शाती !

लोकेन्द्र सिंह said...

जब आंतरिक मामले हों कमजोर
और हास्यास्पद हो विदेश नीति........
तब तो यह सब होना ही है....

रचना दीक्षित said...

आज के भारत की वास्तविकता दर्शाती पोस्ट

Anonymous said...

dukh hai aaj ke samaaj kaa....zimmedari hai humari ki hum bayaan kar ise



http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

सुलभ जायसवालजी

जन्मदिवस की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !

Sawai Singh Rajpurohit said...

आपकी मनोकामना पूर्ण हो .. जनमदिन पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!!

Shah Nawaz said...

सुलभ भाई,

जन्मदिन की ढेरों मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं!

लिंक विदइन

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "