समय का पहिया पल पल आगे बढ़ता जाय यू ही देखते देखते जनवरी दिसम्बर बन जाय जनवरी दिसम्बर बन जाय काम अच्छे करो सारे कर्मफल मिलेगा यहीं बात समझो प्यारे कह सुलभ कविराय 'परिवर्तन' है एक अटल नियम कभी 'ओबामा' चमके तो कभी गिरा 'सत्यम'
जिंदगी हसीं है - "खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "
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